मुंबई, महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी, हमेशा से विकास और चुनौतियों का एक अजीब मिश्रण रही है। यहाँ की झुग्गी-झोपड़ियों और आसमान छूती इमारतों के बीच का कॉन्ट्रास्ट किसी से छिपा नहीं है। इसी कॉन्ट्रास्ट को कम करने के लिए शुरू की गई स्लम रीडेवलपमेंट स्कीम अब एक नए विवाद में फंस गई है।
बांद्रा ईस्ट के ज्ञानेश्वर नगर में स्लम रीडेवलपमेंट अथॉरिटी (SRA) के एक सर्वे को रोकने के आरोप में कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और सात अन्य लोगों पर FIR दर्ज की गई है। यह खबर मुंबई की गलियों में आग की तरह फैल गई और लोग इस मामले के बारे में चर्चा करने लगे।
क्या हुआ था उस दिन? 1 अगस्त की दोपहर को, जब SRA के अधिकारी ज्ञानेश्वर नगर में सर्वे कर रहे थे, तभी विधायक जीशान सिद्दीकी और कुछ अन्य लोग वहाँ पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपना काम रोक दें। इस बात पर बहस शुरू हो गई और मामला बढ़ गया।
अब सवाल यह है कि आखिर विधायक ने ऐसा क्यों किया? जीशान सिद्दीकी का कहना है कि वे लोकल लोगों की आवाज उठा रहे थे। उनके मुताबिक, ज्ञानेश्वर नगर के लोग इस नए SRA प्रोजेक्ट से खुश नहीं हैं। यहाँ करीब 5000-6000 लोग रहते हैं, जिनका भविष्य इस प्रोजेक्ट से जुड़ा है।
लेकिन कहानी का दूसरा पहलू भी है। SRA के अधिकारियों का कहना है कि वे सिर्फ अपना काम कर रहे थे। उनका मकसद इस इलाके को बेहतर बनाना और लोगों को अच्छी रहने की जगह देना था। अब उनकी शिकायत पर पुलिस ने FIR दर्ज की है।
इस पूरे मामले में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि पहले इस प्रोजेक्ट को एक डेवलपर को दिया गया था। उसने 2022 तक सारी परमिशन ले ली थी। लेकिन फिर अचानक SRA ने प्रोजेक्ट कैंसल कर दिया और दूसरे डेवलपर को दे दिया। यह फैसला क्यों लिया गया, इस पर अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है।
जीशान सिद्दीकी, जो बांद्रा ईस्ट से पहली बार विधायक बने हैं, अपने पिता बाबा सिद्दीकी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। बाबा सिद्दीकी ने तीन बार बांद्रा वेस्ट का प्रतिनिधित्व किया था। जीशान पहले कांग्रेस में थे, लेकिन इस साल की शुरुआत में वे अजित पवार की NCP में शामिल हो गए।
इस पूरे विवाद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह सिर्फ एक विकास प्रोजेक्ट है या इसमें कोई राजनीतिक एंगल भी है? क्या स्थानीय लोगों की चिंताएँ वाकई में सुनी जा रही हैं या यह सिर्फ वोट बैंक की राजनीति है? डेवलपर्स की अदला-बदली के पीछे क्या कारण हैं?
पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। इनमें सरकारी काम में बाधा डालना और अवैध सभा करना जैसे आरोप शामिल हैं। अब देखना यह है कि आगे जांच में क्या सामने आता है।
मुंबई जैसे शहर में, जहाँ जमीन सोने से भी कीमती है, ऐसे विवाद आम हैं। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है क्योंकि इसमें एक चुने हुए प्रतिनिधि शामिल हैं। क्या वे वाकई में लोगों के हित में काम कर रहे थे या फिर कुछ और चल रहा था, यह जानने के लिए हमें जांच के नतीजों का इंतजार करना होगा।
इस बीच, ज्ञानेश्वर नगर के लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि उनकी जिंदगी का सवाल है। वे चाहते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए और उनके हितों की रक्षा हो।
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