महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पिंपरी-चिंचवाड़ क्षेत्र से उनके 25 से ज्यादा समर्थकों ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) छोड़ दी है। इस घटना ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।
इस्तीफा देने वालों में कई बड़े नेता शामिल हैं। इनमें दो पूर्व मेयर, विपक्ष के नेता और 20 पूर्व पार्षद हैं। साथ ही, कार्यकारी अध्यक्ष राहुल भोसले और प्रमुख नेता अजित गव्हाणे ने भी पार्टी छोड़ दी है। इतने सारे नेताओं का एक साथ जाना अजित पवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। इससे अजित पवार की राजनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है। जानकारों का मानना है कि यह उनके लिए चिंता का विषय हो सकता है।
दूसरी तरफ, शरद पवार की ताकत बढ़ती दिखाई दे रही है। पिछले साल जब पार्टी में बंटवारा हुआ था, तब उनके साथ सिर्फ एक पार्षद और 8 पदाधिकारी बचे थे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उनकी ताकत फिर से बढ़ रही है। माना जा रहा है कि जो नेता अजित पवार का साथ छोड़ रहे हैं, वे शरद पवार के गुट में शामिल हो सकते हैं।
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में अजित पवार की अगुवाई में NCP का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। यहां तक कि बारामती सीट से उनकी पत्नी भी चुनाव हार गईं। इस हार ने अजित पवार की राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचाया है।
शरद पवार ने इस पूरे घटनाक्रम पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता उनकी पार्टी में वापस आना चाहता है, तो इस पर सामूहिक निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे पहले उन लोगों से बात करेंगे जो मुश्किल के समय में उनके साथ खड़े रहे थे। यह बयान अजित पवार की संभावित वापसी पर दिया गया माना जा रहा है।
याद रहे कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल होने का फैसला किया था। उन्होंने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न भी अपने नाम कर लिया था। लेकिन अब लग रहा है कि उनकी यह रणनीति उल्टी पड़ रही है।
इस पूरे घटनाक्रम से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना है। अजित पवार की स्थिति कमजोर हो सकती है, जबकि शरद पवार की ताकत बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अजित पवार अपने चाचा के पास वापस जाते हैं या फिर वे अकेले ही अपनी राह पर चलते रहेंगे। महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं, जिनका असर आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है।
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