Power and Corruption Game in Maharashtra: मुंबई की राजनीतिक गलियारों में एक नया तूफान आया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इंडिया टीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। शिवसेना का सियासी संग्राम (Shiv Sena’s Political Battle) अब नए मोड़ पर पहुंच गया है, जहां शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर न केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, बल्कि उन्हें ‘बड़ा डाकू’ तक कह डाला है।
महत्वाकांक्षा और विश्वासघात की कहानी
शिवसेना का सियासी संग्राम (Shiv Sena’s Political Battle) की शुरुआत बताते हुए शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे 1997 से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नजरें गड़ाए हुए थे। मनोहर जोशी और नारायण राणे के समय से ही उनके मन में यह लालसा थी। शिंदे ने बताया कि कैसे उद्धव ने शिवसेना के मूल सिद्धांतों से समझौता किया और अपने निजी हितों के लिए पार्टी का इस्तेमाल किया। उन्होंने विधानसभा में बाला साहेब की तस्वीर तक नहीं लगवाई, जो शिवसैनिकों के लिए अपमानजनक था।
बीएमसी में भ्रष्टाचार का जाल
महाराष्ट्र में सत्ता और भ्रष्टाचार का खेल (Power and Corruption Game in Maharashtra) का पर्दाफाश करते हुए शिंदे ने बताया कि कैसे बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के माध्यम से उद्धव ठाकरे ने करोड़ों का घोटाला किया। उन्होंने कहा कि बिना किसी व्यावसायिक गतिविधि के इतनी विशाल संपत्ति का निर्माण संदेह पैदा करता है। शिंदे ने आरोप लगाया कि उद्धव उन्हें जेल भिजवाने की साजिश रच रहे हैं और इसके लिए शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेताओं का सहारा ले रहे हैं।
राजनीतिक षड्यंत्र और परिवारवाद
शिंदे ने खुलासा किया कि कैसे उद्धव ठाकरे ने अपने बेटे आदित्य ठाकरे के लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि पार्टी में कई वरिष्ठ नेताओं को इसलिए किनारे कर दिया गया क्योंकि वे परिवारवाद का विरोध करते थे। शिंदे ने कहा कि उद्धव दूसरों को नौकर समझते हैं और उनके अहंकार ने पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
हिंदुत्व और राजनीतिक विरासत का सवाल
शिंदे ने उद्धव पर हिंदुत्व के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उद्धव ने अपने स्वार्थ के लिए बाला साहेब की विचारधारा को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। शिंदे ने चुनौती दी कि उद्धव राहुल गांधी से बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहलवाएं। उन्होंने कहा कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न कोई खिलौना नहीं है, यह संवैधानिक अधिकार है जो उन्हें मिला है।
गठबंधन और भविष्य की राजनीति
महायुति के भविष्य पर बोलते हुए शिंदे ने स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य सिर्फ मुख्यमंत्री पद नहीं है। उन्होंने कहा कि बहुमत की सरकार बनाना और महाराष्ट्र के विकास को आगे बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि एमवीए ने उनके चुनावी वादों की नकल की है और झूठे नैरेटिव फैलाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है।
शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें हिंदू-मुस्लिम का कोई मुद्दा नहीं है। उन्होंने बताया कि मराठा आरक्षण का मुद्दा भी उन्होंने बिना किसी को नुकसान पहुंचाए हल किया है।
सत्य और साहस का संदेश
अंत में, शिंदे ने चुनौती दी कि उद्धव ठाकरे में उनकी आंखों में आंख डालकर बात करने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे सत्य के साथ खड़े हैं और महाराष्ट्र की जनता जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।