मुंबई

‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ प्रदीप शर्मा की ‘कैट वाली लाइफ’ हुई खत्म, फर्जी एनकाउंटर कांड में कोर्ट से मिली बड़ी सज़ा

'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' प्रदीप शर्मा की 'कैट वाली लाइफ' हुई खत्म, फर्जी एनकाउंटर कांड में कोर्ट से मिली बड़ी सज़ा

मुंबई पुलिस का नाम सुनते ही कई ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट्स’ याद आते हैं, और इनमें सबसे चर्चित नाम रहा है – प्रदीप शर्मा। कई बार इन्हें सस्पेंड किया गया, अंडरवर्ल्ड से संबंध का आरोप लगा, लेकिन हर मुश्किल से पार पाकर ये वापस पुलिस की खाकी में लौट आते थे। लेकिन लगता है अब इनकी किस्मत का साथ छूट रहा है… पहले इनकम टैक्स की रेड, फिर फर्जी एनकाउंटर केस में कोर्ट से मिली उम्रकैद की सज़ा…कहानी में आ गया है बड़ा ट्विस्ट!

चलिए, एक-एक करके सारे कारनामों पर नज़र डालते हैं:

इनकम टैक्स की रेड: पिछले महीने ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने प्रदीप शर्मा और एक रिटायर्ड IAS अफसर के घर और दफ्तरों पर छापा मारा। सुनने में आया है कि ये दोनों किसी बड़े रियल एस्टेट घोटाले में उलझे हैं। कई लोग इस रेड को राजनीतिक रंजिश से जोड़कर देख रहे हैं।

लखन भैया फर्जी एनकाउंटर: साल 2006 में लखन भैया नाम के एक शख्स को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था। बाद में जांच में सामने आया कि मामला फर्जी था, और लखन भैया के किसी दुश्मन ने पुलिस को पैसा खिलाकर उसकी हत्या करवाई थी। 2010 में हाई कोर्ट ने इस केस की जांच के लिए एक SIT टीम बनाई थी। 2013 में निचली अदालत ने इस एनकाउंटर में शामिल 13 पुलिस वालों को दोषी ठहराया, लेकिन अकेले प्रदीप शर्मा आरोपों से बच गए। अब हाई कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को भी दोषी मानते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई है।

…और बाकी कारनामे: बात यहीं खत्म नहीं होती दोस्तों! 2008 में महाराष्ट्र सरकार ने प्रदीप शर्मा को तो अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन का बहाना देकर नौकरी से बर्खास्त ही कर दिया था! लेकिन शर्मा जी कहां हार मानने वाले थे – उन्होंने ट्रिब्यूनल में केस लड़ा और 2009 में वापस नौकरी पा ली। फिर 2017 में वापस पुलिस में भर्ती हो गए और ठाणे में काम करने लगे। यहां उन्होंने दाऊद इब्राहिम के भाई इकबाल कस्कर को भी गिरफ्तार किया, जो इनके लिए एक बड़ी कामयाबी थी। 2019 में शिवसेना की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा, पर हार गए। साल 2021 में फिर मुसीबत ने आ घेरा, जब एंटीलिया बम कांड और मनसुख हिरेन मर्डर केस में NIA ने इन्हें धर लिया।

प्रदीप शर्मा के बारे में अक्सर कहा जाता है कि ये बंदा जेल से ज्यादा अस्पताल में टाइम बिताता है। कभी खुद बीमार पड़ जाते हैं, कभी परिवार में किसी की सेहत का बहाना लेकर जेल से बाहर आ जाते हैं।

अब देखते हैं कि कोर्ट के फैसले को प्रदीप शर्मा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हैं या नहीं। क्या अभी भी किस्मत इनका साथ देगी, या फिर जेल की सलाखों के पीछे ही दिन गुज़ारने पड़ेंगे?

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