मुंबई

 महाराष्ट्र: ऊंची इमारतों में फायर सीढ़ी और लिफ्ट पर प्रीमियम भुगतान में मिली राहत

 महाराष्ट्र: ऊंची इमारतों में फायर सीढ़ी और लिफ्ट पर प्रीमियम भुगतान में मिली राहत
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महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग (UDD) ने मुंबई में ऊंची इमारतों के लिए नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत, बिल्डरों को फायर सीढ़ियों और लिफ्ट पर लगने वाले प्रीमियम भुगतान में राहत मिलेगी। इससे भवन निर्माण की लागत कम होगी और घर खरीदारों को भी फायदा पहुंचेगा।

महाराष्ट्र शहरी विकास विभाग (UDD) ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) को एक निर्देश जारी किया है, जिसमें 70 मीटर से अधिक ऊंची इमारतों में फायर सीढ़ियों पर लगने वाले प्रीमियम शुल्क के नियमों में संशोधन किया गया है। नए नियमों के मुताबिक, प्रीमियम की गणना अब जमीन की रेडी-रेकनर दर को ध्यान में रखकर की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, लिफ्ट के लिए प्रीमियम शुल्क की गणना भी बदल दी गई है। अब प्रीमियम की गणना कोर शाफ्ट क्षेत्र के आधार पर की जाएगी, न कि भूमि की रेडी-रेकनर दर के आधार पर प्रत्येक मंजिल के फर्श के क्षेत्रफल पर। उदाहरण के लिए, 10 मंजिला इमारत के लिए प्रीमियम केवल एक मंजिल पर लगाया जाएगा, न कि सभी मंजिलों पर जैसा कि पहले के नियमों में था।

अतिरिक्त सीढ़ियों पर प्रीमियम शुल्क को हटाने और लिफ्ट क्षेत्र के प्रीमियम की गणना में बदलाव करने से बिल्डरों की लागत में काफी कमी आएगी। इस कदम से घर खरीदारों को भी लाभ होने की उम्मीद है क्योंकि इससे घरों का मूल्य कम होगा। मुंबई में BMC के अधिकार क्षेत्र में पुनर्विकास परियोजनाओं में भी इससे वृद्धि हो सकती है।

यह निर्देश CREDAI MCHI (रियल एस्टेट एपेक्स बॉडी) की अपील के बाद आया है, जिसमें अतिरिक्त सीढ़ियों और लिफ्ट के प्रीमियम शुल्क पर स्पष्टीकरण और मार्गदर्शन मांगा गया था। CREDAI-MCHI के अध्यक्ष डोमनिक रोमेल ने सरकार के सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ये बदलाव पारदर्शी और निष्पक्ष विकास प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

पहले, बिल्डरों को प्रत्येक मंजिल पर लिफ्ट के लिए उपयोग किए जाने वाले क्षेत्र के साथ-साथ ऊंची इमारतों में अतिरिक्त सीढ़ियों के लिए भूमि की रेडी रेकनर दर के 25 प्रतिशत का प्रीमियम देना पड़ता था। NAREDCO वेस्ट के संयुक्त सचिव विशाल ठक्कर के अनुसार, इन प्रीमियम शुल्कों में ढील से परियोजनाएं आर्थिक रूप से अधिक व्यवहार्य होंगी और इस क्षेत्र में पुनर्विकास के प्रयासों में तेजी आएगी।

इस बदलाव के बाद मुंबई शहर में बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के लिए राहत मिलेगी और नए प्रोजेक्ट्स को गति मिलेगी।

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