पुणे से एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और नौकरी सुरक्षा के मुद्दों पर नया सवाल खड़ा कर दिया है। पुणे के एक आईटी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को हाल ही में कंपनी द्वारा आयोजित हेल्थ चेकअप के दौरान कैंसर होने की पुष्टि हुई। इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या के बावजूद कंपनी ने उसे अचानक नौकरी से निकाल दिया, जिससे कर्मचारी और उसके परिवार पर मानसिक और आर्थिक दबाव बढ़ गया।
कर्मचारी ने अपनी नौकरी की सुरक्षा और अपने अधिकारों के लिए पुणे में धरना शुरू कर दिया है। वो भूख हड़ताल पर बैठा हुआ है और न्याय की मांग कर रहा है। इस दौरान कर्मचारी ने कहा कि स्वास्थ्य कारणों से नौकरी से निकाला जाना न केवल उसके जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ये एक गलत संदेश भी देता है कि कंपनियां गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी कर्मचारी को स्वास्थ्य समस्या के आधार पर नौकरी से निकालना अनुचित और कई मामलों में गैरकानूनी हो सकता है। मजदूर कानून और रोजगार संबंधी नियमों के अनुसार, कर्मचारियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें सुरक्षा और सहयोग प्रदान करना कंपनियों की जिम्मेदारी है।
सोशल मीडिया और स्थानीय नागरिकों ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। कई लोग कर्मचारियों के अधिकारों और स्वास्थ्य सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। इस मामले ने न केवल पुणे बल्कि पूरे देश में कर्मचारियों के स्वास्थ्य अधिकार, नौकरी सुरक्षा और कंपनियों की नैतिक जिम्मेदारी को उजागर किया है।
कर्मचारी का धरना लगातार जारी है और इस मामले पर अब सरकारी और कानूनी हस्तक्षेप की भी उम्मीद जताई जा रही है। ये मामला कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी भी है कि गंभीर बीमारी में भी उन्हें अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवाज उठानी चाहिए।
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