महाराष्ट्रमुंबई

पुणे पोर्शेगेट घटना: अजित पवार की भूमिका महायुति गठबंधन पर भारी पड़ती दिख रही है

अजित पवार की भूमिका

महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार एक बढ़ती हुई शर्मिंदगी बनते जा रहे हैं। पुणे पोर्शेगेट घटना ने पिछले कई दिनों से राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी हैं, और यह स्पष्ट हो रहा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने पुणे पुलिस पर दबाव डाला था कि वे 19 मई को दो इंजीनियरों की मौत का कारण बनने वाले नाबालिग को बचाएं।

निष्पक्ष जांच की मांग: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चाहती है कि विधायक सुनील टिंगरे के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए, जो विशाल अग्रवाल, नाबालिग के पिता और एक बड़े बिल्डर के साथ पुलिस स्टेशन में सुबह 6.30 बजे तक दबाव डाल रहे थे। लेकिन यह नहीं हो रहा है क्योंकि वह अजित पवार के करीबी हैं। इस घटना पर बीजेपी और विपक्षी दल निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

अजित पवार की संदिग्ध भूमिका: अजित पवार, जो पुणे के संरक्षक मंत्री भी हैं, खुद इस दुर्घटना के संबंध में पुलिस को फोन करने की सूचना है। अब तक पवार यह साबित नहीं कर पाए हैं कि उनकी पार्टी ने जांच में हस्तक्षेप नहीं किया था। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, जो गृह मंत्रालय के प्रभारी हैं, अजित पवार के महत्वपूर्ण सहयोगी होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

पुणे पुलिस की खराब छवि: पुणे पुलिस की अक्षमता और भ्रष्टाचार हर दिन उजागर हो रहा है। नाबालिग और उसके पिता और दादा ने पुलिस प्रणाली का मजाक उड़ाया है। पहले तो उस रात को येरवडा पुलिस स्टेशन में नाबालिग आरोपी को पिज्जा और बर्गर से खिलाया गया। दूसरा, नाबालिग के खून के नमूने का विनाश और उसकी माँ के खून से उसकी जगह लेना। और तीसरा, पुलिस का नाबालिग की माँ शिवानी अग्रवाल को ढूंढने में असफल रहना, जिन्होंने अपने बेटे की जगह खून का नमूना दिया था।

विपक्ष की आलोचना: विपक्ष देवेंद्र फडणवीस को पुलिस द्वारा पोर्शेगेट के गलत हाथों में जाने के लिए रोजाना आलोचना कर रहा है, लेकिन अजित पवार के कारण वह खुद का बचाव प्रभावी ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि एनसीपी नेतृत्व की वजह से पुलिस जांच प्रभावित हुई है।

महायुति में दरारें: इस बीच, अजित पवार लोकसभा चुनाव प्रचार के कुछ रैलियों में भी अनुपस्थित थे। यह सब दिखाता है कि महायुति में दरारें उभर रही हैं और अजित पवार के कारण गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ रहा है। इस घटनाक्रम का महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है और यह आगे चलकर गठबंधन की दिशा और दशा को प्रभावित कर सकता है।

गंभीर राजनीतिक परिणाम: पोर्शेगेट घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में गहरी खाई पैदा कर दी है। एक तरफ जहां विपक्ष सरकार पर निष्पक्ष जांच न कराने का आरोप लगा रहा है, वहीं दूसरी ओर महायुति गठबंधन में सहयोगियों के बीच आपसी तनाव बढ़ता जा रहा है। अजित पवार की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं और उन्हें अपने आप को साफ करना होगा। यदि इस मामले में कोई और विवाद होता है, तो इसका महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

पोर्शेगेट घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नया मोड़ दे दिया है। अजित पवार की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है और उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा। सभी राजनीतिक दलों को शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए एकजुट होकर निष्पक्ष जांच की मांग करनी चाहिए ताकि न्याय किया जा सके। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो इसका महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता और विकास पर गंभीर असर पड़ेगा। लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी पक्षों को मिलकर काम करना होगा और किसी भी तरह के दबाव या हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देनी चाहिए। केवल निष्पक्ष और पारदर्शी जांच ही सच्चाई सामने लाएगी और न्याय सुनिश्चित करेगी।

इस घटना से महाराष्ट्र की सरकार और पुलिस की छवि को भी गंभीर धक्का लगा है। आगे बढ़ने के लिए इन्हें अपनी विश्वसनीयता बहाल करनी होगी। महाराष्ट्र के लोगों के विश्वास को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए ईमानदारी और पारदर्शिता अनिवार्य है। पोर्शेगेट मामले पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। सरकार और पुलिस को अपनी भूमिका निभानी होगी ताकि न्याय किया जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

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