पुणे का खूनी पोर्श: पुणे के बांद गार्डन पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले के अनुसार, 11 अक्टूबर 2009 को चुनाव प्रचार के दौरान अजय भोसले की कार पर दो मोटरसाइकिल सवारों ने गोलीबारी की थी। जांच में बाद में पता चला कि इस घटना में नाबालिग लड़के के दादा, सुरेंद्र कुमार अग्रवाल की भूमिका थी।
इस घटना की जांच में खुलासा हुआ कि सुरेंद्र कुमार अग्रवाल का अपने भाई आर.के. अग्रवाल के साथ जमीन के एक टुकड़े को लेकर विवाद था और इस विवाद को सुलझाने के लिए उन्होंने छोटा राजन के गुर्गे की मदद ली थी। आरोप है कि सुरेंद्र ने राजन के कथित सहयोगी विजय तंबाट के साथ कई बैठकें भी की थीं। इस प्रकार, आरोपियों ने भोसले पर हमला करने की साजिश रची, जो सुरेंद्र के भाई के करीबी दोस्त थे।
छोटा राजन की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण के बाद अक्टूबर 2015 में, गैंगस्टर से जुड़े सभी मामले सीबीआई को सौंप दिए गए थे। सीबीआई ने मई 2017 में एक नया मामला दर्ज किया। चूंकि मुंबई में राजन के खिलाफ अधिकतम मामले दर्ज थे, इसलिए सभी मुकदमे मुंबई की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिए गए। ये मामला भी 2020 में मुंबई की अदालत में स्थानांतरित किया गया। मुकदमे की सुनवाई पिछले साल अप्रैल में ही शुरू हो सकी थी। वर्तमान में, अभियोजन पक्ष ने मामले में 12 गवाहों की जांच की है और सुरेंद्र जमानत पर बाहर है।
यह घटना पुणे में हाल ही में एक नाबालिग द्वारा दो लोगों को कुचलने और मारने के मामले से जुड़ी हुई है, जिसमें नाबालिग के पिता को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
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