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Punjab Infotech Fraud: स्मार्टफोन टेंडर धांधली; पंजाब इंफोटेक ने कैसे लूटा सरकारी खजाना, परत-दर-परत खुलासा

Punjab Infotech Fraud: स्मार्टफोन टेंडर धांधली; पंजाब इंफोटेक ने कैसे लूटा सरकारी खजाना, परत-दर-परत खुलासा

Punjab Infotech Fraud: पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने 2022 में सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और पारदर्शी शासन का वादा किया था। अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह जैसे नेता मंचों से ईमानदारी की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। लेकिन पंजाब इंफोटेक घोटाला ने इन दावों की पोल खोल दी है। पंजाब इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पंजाब इंफोटेक), जो पंजाब सरकार की एक कंपनी है, 27 जून 2025 को जारी स्मार्टफोन टेंडर (नं. GEM/2025/B/6391039) में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों में घिर गई है। यह टेंडर सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए 28,515 स्मार्टफोन खरीदने के लिए था, लेकिन इसमें हुई स्मार्टफोन टेंडर धांधली ने आप सरकार भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।

पंजाब इंफोटेक की स्थापना 1976 में पंजाब सरकार ने राज्य में आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए की थी। यह कंपनी उद्योग और वाणिज्य विभाग के अधीन काम करती है और कई बार सामाजिक सुरक्षा जैसे अन्य विभागों के लिए खरीद एजेंसी की भूमिका निभाती है। इसका मालिकाना हक पंजाब सरकार के पास है, इसलिए इसके हर टेंडर की जिम्मेदारी सीधे सरकार पर आती है। लेकिन इस बार 28,515 स्मार्टफोन की खरीद के लिए निकाले गए टेंडर में ऐसी धांधली सामने आई है, जिसने आप सरकार की ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

शिकायतों के मुताबिक, इस टेंडर में नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई। चावला डिजिटल सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के आकाश चावला और पंजाब इंफोटेक की कार्यकारी निदेशक (HoD ITeG डिवीजन) अशूनीत कौर पर मिलीभगत का आरोप है। चावला डिजिटल ने लावा इंटरनेशनल के साथ मिलकर बोली लगाई, लेकिन उनकी वित्तीय और तकनीकी योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि टेंडर की शर्तों को इस तरह बनाया गया कि अनुभवहीन और कमजोर कंपनियां भी क्वालिफाई कर सकें। इससे साफ है कि टेंडर पहले से तय कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया था।

एक बड़ा मुद्दा मोबाइल डिवाइस मैनेजमेंट (MDM) फीचर का है। इस फीचर में सुरक्षित चैट जैसे जरूरी कार्य शामिल हैं, लेकिन कई बोलीदाताओं ने इसकी कार्यक्षमता कभी प्रदर्शित ही नहीं की। फिर भी, उन्हें सिर्फ कागजी दस्तावेजों के आधार पर योग्य ठहरा दिया गया। भारत में MDM फीचर देने वाली कंपनियां बहुत कम हैं, और उन्होंने किसी भी बोलीदाता को मैन्युफैक्चरर ऑथराइजेशन फॉर्म (MAF) जारी नहीं किया। इसके बावजूद, टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया, जो खरीद नियमों का खुला उल्लंघन है।

इसके अलावा, सैमसंग के साथ बोली लगाने वाली SISL इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड के पास जरूरी चार साल का अनुभव नहीं था। फिर भी, उसे तकनीकी रूप से पास कर दिया गया। उनके अनुभव प्रमाणपत्रों को संदिग्ध बताया जा रहा है, और शिकायतकर्ताओं ने मांग की है कि उनके चालान, आपूर्ति आदेश और बैंक स्टेटमेंट की जांच हो। साथ ही, अनिवार्य NABL टेस्ट रिपोर्ट, BIS और अन्य सर्टिफिकेट बोली के समय जमा नहीं किए गए। नियमों के खिलाफ, कुछ कंपनियों को बाद में दस्तावेज जमा करने की छूट दी गई। कुछ ने तो पोस्ट-डेटेड MAF और मेक इन इंडिया सर्टिफिकेट भी बाद में जमा किए, जो पूरी तरह गलत है।

सबसे चौंकाने वाला पहलू बजट का है। केंद्र सरकार ने POSHAN अभियान के तहत प्रति स्मार्टफोन 10,000 रुपये (+GST) यानी 11,800 रुपये का बजट तय किया था। लेकिन पंजाब इंफोटेक ने टेंडर की कीमत इतनी बढ़ाई कि एक फोन की लागत करीब 20,000 रुपये हो गई। इससे सरकारी खजाने पर 22-23 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ने की आशंका है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यह पंजाब इंफोटेक घोटाला सरकारी धन की बर्बादी का सबूत है और इससे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को घटिया स्मार्टफोन मिलने का खतरा है।

इस मामले में पंजाब डेवलपमेंट कमीशन के सदस्य अनुराग कुंडू का नाम भी सामने आया है। आरोप है कि कुंडू ने दिल्ली से मिले निर्देशों के आधार पर यह पूरा खेल रचा। उन्होंने इन निर्देशों को मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया और अपने सुझावों के रूप में पेश किया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बिना सवाल किए इन्हें मंजूरी दी, और फिर पंजाब इंफोटेक को इनके आधार पर काम करने को कहा गया। इससे साफ होता है कि यह स्मार्टफोन टेंडर धांधली एक सुनियोजित राजनीतिक योजना थी, जिसका मकसद पहले से चुनी गई कंपनियों को फायदा पहुंचाना था।

शिकायतकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव, सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग, और गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) के सीईओ से इस टेंडर को रद्द करने और नया टेंडर जारी करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह धांधली न सिर्फ सरकारी पैसे की लूट है, बल्कि आप सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का सबूत भी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब आप सरकार पारदर्शिता की बात करती है, तो पंजाब में उसकी नाक के नीचे यह सब कैसे हो रहा है।

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह बार-बार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की बात करते हैं। लेकिन इस टेंडर घोटाले ने उनकी ईमानदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर यह आरोप सही हैं, तो यह साफ है कि पंजाब इंफोटेक घोटाला एक सुनियोजित खेल है, जिसमें सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। जनता अब जवाब मांग रही है कि क्या आप सरकार इस मामले की जांच कराएगी और दोषियों पर कार्रवाई करेगी।

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