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रेलवे की पोल खुल गई! मंत्री जी का 15 किलोमीटर वाला दावा निकला झूठा?

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रेलवे की पोल खुल गई: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि पहले रोज़ 4 किलोमीटर रेल की पटरियां बिछती थीं, अब 15 किलोमीटर बिछाई जा रही हैं। लेकिन, RTI के एक जवाब से पता चला है कि असल में पिछले 10 साल में रोज़ औसतन 7.41 किलोमीटर ट्रैक ही बना है।

ये खुलासा तब हुआ जब मध्य प्रदेश के चंद्रशेखर गौर ने RTI लगाकर ये जानकारी मांगी कि 2014 से अब तक कितना रेलवे ट्रैक बना है। रेलवे के जवाब के मुताबिक, इस दौरान नई लाइनें बनाने के अलावा मौजूदा लाइनों को डबल-ट्रैक या ट्रिपल ट्रैक करने और मीटर गेज की लाइनों को ब्रॉड गेज में बदलने का काम भी शामिल है।

आंकड़ों में गड़बड़?

10 साल में कुल 27 हजार किलोमीटर से ज़्यादा ट्रैक बना। RTI लगाने वाले चंद्रशेखर गौर के हिसाब से इसका मतलब है कि रोज़ औसतन 7.41 किलोमीटर ट्रैक बना, न कि 15 किलोमीटर, जैसा रेल मंत्री ने दावा किया था।

क्या कहते हैं रेलवे के अधिकारी?

रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि साल 2022-23 में बहुत ज़्यादा ट्रैक बिछाया गया, लगभग 3900 किलोमीटर। इससे रोज़ का औसत लगभग 10.68 किलोमीटर बैठता है। लेकिन 2023-24 में सिर्फ़ 2900 किलोमीटर के करीब ट्रैक बिछा। यानी इस साल रोज़ का औसत घटकर 8 किलोमीटर के लगभग हो गया।

ये आंकड़े बताते हैं कि रेल मंत्री का दावा पूरी तरह सही नहीं था। हो सकता है कि एक साल में बहुत ज़्यादा ट्रैक बिछा हो, लेकिन पूरे 10 साल का औसत देखें तो रोज़ाना 15 किलोमीटर वाला आंकड़ा नहीं बनता।

ऐसा भी हो सकता है कि रेलवे ने कुछ काम को ट्रैक बिछाने के काम में गिन लिया हो, जबकि RTI लगाने वाले ने सिर्फ़ नए ट्रैक बिछाने का हिसाब लगाया हो। चंद्रशेखर गौर का कहना है कि रेलवे ने एक साल में तो तेज़ काम किया था, लेकिन बाद में ये रफ्तार नहीं रख पाया।

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