महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है जब राज ठाकरे का चुनावी दांव (Raj Thackeray’s Electoral Move) सामने आया। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख ने 2024 के विधानसभा चुनाव में 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर सभी राजनीतिक दलों को चौंका दिया है। मराठी मानस की राजनीति में यह नया मोड़ कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
शिवसेना से मनसे तक का सफर
उत्तर भारतीय मूल के एक व्यक्ति को महासचिव बनाने वाले राज ठाकरे का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प रहा है। राज ठाकरे का चुनावी दांव (Raj Thackeray’s Electoral Move) हमेशा से अप्रत्याशित रहा है। शिवसेना में अपने चाचा बाला साहेब ठाकरे के साथ शुरुआत करने वाले राज को 2003 में तब बड़ा झटका लगा, जब उद्धव ठाकरे को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। किणी कांड ने उनके राजनीतिक जीवन को एक नई दिशा दी, जिसके बाद 2005 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की स्थापना की।
वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य और चुनावी रणनीति
आज महाराष्ट्र में मनसे का राजनीतिक प्रभाव (MNS Political Impact in Maharashtra) पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। राज ठाकरे ने बीजेपी और शिंदे गुट के खिलाफ 22 सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। वर्ली सीट पर उन्होंने संदीप देशपांडे को उतारा है, जहां उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और शिंदे गुट के सदा सर्वांकर त्रिकोणीय मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मनसे की ओर से वोटों का कोई भी शिफ्ट महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
मनसे की बदलती राजनीतिक विचारधारा
राज ठाकरे की राजनीतिक यात्रा विरोधाभासों से भरी रही है। माइकल जैक्सन को मुंबई में शो के लिए बुलाने से लेकर मराठी अस्मिता के मुद्दे तक, उनकी राजनीति में कई मोड़ आए। 2009 के विधानसभा चुनाव में मनसे ने 13 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक रहे राज ठाकरे 2019 में विरोधी बन गए और अब फिर बीजेपी के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं।
भविष्य की राजनीति और चुनावी समीकरण
मनसे के 36 सीटों पर मजबूत होने की बात कही जा रही है। राज ठाकरे की पार्टी अब एक निर्णायक भूमिका में है। उनकी रणनीति महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। मराठी मुद्दा हो या हिंदुत्व का मामला, राज ठाकरे की राजनीतिक यात्रा ने कई रंग देखे हैं। आने वाले चुनाव में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि उनके द्वारा उतारे गए उम्मीदवार कई सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
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