महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने केंद्र सरकार के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ यानी ‘एक देश, एक चुनाव’ के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मोदी कैबिनेट ने हाल ही में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है, लेकिन इसके साथ ही इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। कुछ राजनीतिक दल इस कदम के समर्थन में हैं, जबकि कई इसके खिलाफ भी हैं। राज ठाकरे ने इसे लेकर अपने कड़े विचार सामने रखे हैं और केंद्र सरकार से पूछा है कि यदि ये इतना महत्वपूर्ण है, तो पहले महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं?
नगर निकाय चुनावों की मांग
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में कई नगर निकाय जैसे कि बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के चुनाव लंबे समय से लंबित हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर केंद्र सरकार को चुनाव कराने की इतनी चिंता है, तो सबसे पहले महाराष्ट्र में इन नगर निकायों के चुनाव क्यों नहीं कराए जाते? ठाकरे का कहना है कि पिछले चार सालों से कई नगर निकाय प्रशासकों के अधीन चल रहे हैं, और अब वक्त आ गया है कि इन चुनावों को प्राथमिकता दी जाए।
वन नेशन-वन इलेक्शन का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोकसभा, विधानसभा, और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं। इससे ना केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि बार-बार चुनावी प्रक्रिया से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का भी समाधान हो सकता है। परंतु, ठाकरे की राय में पहले नगर निकाय चुनावों को आयोजित करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
क्या होगा अगर राज्य सरकार गिर जाए?
राज ठाकरे ने एक और गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर कोई राज्य सरकार अचानक गिर जाती है या विधानसभा भंग हो जाती है, तो इस स्थिति में क्या होगा? क्या ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का उद्देश्य पूरा हो पाएगा? ठाकरे के अनुसार, इन सवालों के जवाब बिना सोचे-समझे इस नीति को लागू करना गलत होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह राज्यों के विचारों को भी ध्यान में रखे, क्योंकि चुनाव की जिम्मेदारी केवल केंद्र की नहीं है, बल्कि इसमें राज्य सरकारों की भी भागीदारी है।
केंद्र सरकार की योजना: एक बड़ा चुनावी सुधार
गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव की सराहना करते हुए इसे देश के चुनाव सुधारों में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उनके अनुसार, एक साथ चुनाव कराने से न केवल चुनावी खर्च में कटौती होगी, बल्कि इससे देश की जनता और राजनीतिक दलों को भी राहत मिलेगी। चुनाव बार-बार होने से सरकार की नीतियों और विकास कार्यों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी इस योजना से कम किया जा सकेगा।
हालांकि, राज ठाकरे का मानना है कि इस सुधार के लिए विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श जरूरी है। देश के हर राज्य की स्थिति अलग है, और सभी राज्यों की राय को ध्यान में रखकर ही इस नीति को लागू किया जाना चाहिए।
राज्यों की स्थिति का ध्यान रखना जरूरी
राज ठाकरे ने यह भी कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करने से पहले यह देखना जरूरी है कि राज्यों में चुनावों की वर्तमान स्थिति क्या है। क्या सभी राज्य एक साथ चुनाव कराने के लिए तैयार हैं? अगर कोई राज्य चुनाव कराने में असमर्थ हो या वहाँ की राजनीतिक स्थिति ऐसी हो कि चुनाव कराना उचित न हो, तो ऐसे में ‘एक देश, एक चुनाव’ का क्या होगा? इन सभी सवालों पर केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए।
वन नेशन-वन इलेक्शन एक ऐसी योजना है, जिस पर देशभर में चर्चा हो रही है। राज ठाकरे जैसे बड़े नेताओं के कड़े सवाल यह दिखाते हैं कि इस नीति पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस योजना को लागू करने से पहले राज्यों की स्थितियों और विचारों पर भी गंभीरता से ध्यान दे। क्या ये योजना सही समय पर लागू की जाएगी या इसमें और भी बाधाएं आएंगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
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