Ram Mandir: राम नवमी के दिन अयोध्या में बने नए राम मंदिर में सिर्फ भक्ति का माहौल ही नहीं था, बल्कि विज्ञान का एक अद्भुत नमूना भी देखने को मिला। दोपहर करीब 12 बजे, सूरज की एक किरण सीधे रामलला की मूर्ति के माथे पर आकर पड़ी और उनकी मूर्ति जगमगा उठी। मंदिर में मौजूद सभी भक्त यह नज़ारा देखकर हैरान रह गए।
इस चमत्कार के पीछे कोई जादू नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों और वास्तुकारों की सालों की मेहनत है! इंजीनियरों ने मंदिर की डिज़ाइन ही इस तरह बनाई है ताकि राम नवमी के दिन सूरज की किरणें एक खास समय पर रामलला की मूर्ति के माथे पर पड़ें।
इसके लिए उन्होंने सूरज की स्थिति और उसकी किरणों के कोण का गहरा अध्ययन किया। खास तरह के लेंस और शीशे लगाकर उन्होंने किरणों को इकट्ठा किया और उन्हें एक बिंदु पर केंद्रित किया, जहां रामलला की मूर्ति स्थापित है।
पूरी व्यवस्था को ‘ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम’ कहा जाता है। इसमें कई लेंस, शीशे, और एक ‘टिल्ट मैकेनिज़्म’ होता है। सूरज की दिशा बदलने के साथ ही, ये मैकेनिज़्म अंदर के शीशों का कोण बदलता है और इस तरह किरण हमेशा रामलला के माथे पर ही पड़ती है।
वैज्ञानिकों को इस पूरी व्यवस्था के लिए सूरज और पृथ्वी की गति, और साल के खास दिन के हिसाब से गणित करनी पड़ती है। इसमें थोड़ी सी भी चूक हुई, तो किरण सही जगह पर नहीं पड़ेगी।
राम नवमी के शुभ अवसर पर रामलला का माथा ऐसे जगमगाना भक्तों के लिए सिर्फ वैज्ञानिक करिश्मा नहीं है। उनके लिए ये रामलला के दिव्य आशीर्वाद का प्रतीक है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये घटना सिर्फ राम नवमी के दिन ही नहीं, बल्कि उसके एक-दो दिन पहले और बाद में भी दोहराई जाएगी।
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