महाराष्ट्र

Ration Shops Pending Dues Cleared: महाराष्ट्र में राशन दुकानदारों की मांगें होंगी पूरी, बावनकुले ने दिए बकाया कमीशन तुरंत देने के निर्देश

Ration Shops Pending Dues Cleared: महाराष्ट्र में राशन दुकानदारों की मांगें होंगी पूरी, बावनकुले ने दिए बकाया कमीशन तुरंत देने के निर्देश

Ration Shops Pending Dues Cleared: महाराष्ट्र के हर गांव और कस्बे में एक ऐसी दुकान है, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए जीवन रेखा का काम करती है। ये हैं स्वस्त धान्य दुकानें, जिन्हें हम राशन की दुकान (Fair Price Shops, स्वस्त धान्य दुकान) कहते हैं। लेकिन इन दुकानों को चलाने वाले दुकानदार आज खुद मुश्किलों से जूझ रहे हैं। उनकी मेहनत का मेहनताना महीनों से अटका हुआ है। इस मुश्किल को समझते हुए, 18 जून 2025 को महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने स्वस्त धान्य दुकानदारों के बकाया भुगतान (Pending Dues of Ration Shopkeepers, बकाया भुगतान) को तुरंत जारी करने के निर्देश दिए और उनकी पुरानी मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही। यह खबर हर उस युवा के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने राज्य की व्यवस्था और आम लोगों की मेहनत को समझना चाहता है। आइए, इस कहानी को करीब से देखते हैं।

मंगलवार को मंत्रालय में एक अहम बैठक हुई, जिसमें राजस्व मंत्री बावनकुले के साथ-साथ अन्न और नागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबळ, नागपुर जिले के ग्रामीण स्वस्त धान्य दुकानदार संघ के पदाधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में दुकानदारों ने अपनी परेशानियां खुलकर रखीं। उन्होंने बताया कि पिछले छह से आठ महीनों से उनकी कमीशन की रकम अटकी हुई है। इस वजह से उन्हें दुकान का किराया, बिजली बिल, कर्मचारियों की तनख्वाह और इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट-ऑफ-सेल (e-PoS) मशीनों के रिचार्ज जैसे खर्चों के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। इतनी कम कमीशन पर गुजारा करना पहले ही मुश्किल था, और अब बकाया राशि ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दीं।

बावनकुले ने दुकानदारों की बात को गंभीरता से सुना। उन्होंने कहा कि स्वस्त धान्य दुकानदार सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की रीढ़ हैं। यह प्रणाली देश भर में 80 करोड़ लोगों को और महाराष्ट्र में 7 करोड़ लोगों को सस्ता अनाज पहुंचाती है। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का समाधान करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने तुरंत बकाया भुगतान शुरू करने के निर्देश दिए और दुकानदारों की मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का वादा किया। यह प्रस्ताव दुकानदारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जो सालों से अपनी मेहनत का उचित मोल मांग रहे हैं।

दुकानदारों ने इस बैठक में कई मांगें रखीं। उनकी सबसे बड़ी मांग थी कि प्रति क्विंटल कमीशन को 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये किया जाए। इसके अलावा, वे चाहते हैं कि हर महीने की 5 तारीख तक कमीशन का भुगतान नियमित रूप से हो। उन्होंने यह भी मांग की कि सर्वर और नेटवर्क की समस्याओं का स्थायी समाधान हो, ताकि अनाज वितरण में देरी न हो। अगर तकनीकी दिक्कतें आएं, तो मैनुअल वितरण की अनुमति मिलनी चाहिए। दुकानदारों ने यह भी कहा कि अनाज के साथ-साथ साड़ी, बैग और किट जैसी चीजों के वितरण का कमीशन भी एक ही बिल में शामिल हो। इसके अलावा, आधार लिंकिंग, मोबाइल नंबर लिंकिंग और ई-केवाईसी जैसे कामों के लिए अलग से मेहनताना मिलना चाहिए।

इन मांगों में कुछ और भी जरूरी बातें थीं। दुकानदारों ने मांग की कि वितरण के दौरान होने वाले नुकसान के लिए कम से कम 1% भत्ता मिले। साथ ही, लाइसेंस को परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित करने की सुविधा होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी दुकानदारों को पहचान पत्र जारी किए जाएं, ताकि उनकी मेहनत को आधिकारिक मान्यता मिले। ये मांगें सिर्फ पैसे की बात नहीं करतीं, बल्कि दुकानदारों के सम्मान और उनकी रोज़मर्रा की चुनौतियों को भी सामने लाती हैं।

महाराष्ट्र में स्वस्त धान्य दुकानें सिर्फ अनाज बांटने की जगह नहीं हैं। ये उन लोगों के लिए उम्मीद का केंद्र हैं, जो कम कीमत पर अपने परिवार का पेट भरते हैं। लेकिन इन दुकानदारों की हालत को देखकर लगता है कि उनकी मेहनत को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। 2025 में सरकार ने पहले ही उनकी कमीशन को 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 150 रुपये से 170 रुपये किया था। इसके अलावा, उन्हें NAFED के जरिए 10 आवश्यक वस्तुएं बेचने की अनुमति भी दी गई थी। लेकिन बकाया भुगतान और पुरानी मांगों के अटके रहने से दुकानदारों का भरोसा डगमगाने लगा था। बावनकुले और भुजबळ के इस नए ऐलान ने उन्हें फिर से उम्मीद दी है।

यह मामला सिर्फ दुकानदारों का नहीं, बल्कि उस पूरी व्यवस्था का है, जो महाराष्ट्र के हर कोने में अनाज पहुंचाती है। नागपुर जैसे ग्रामीण इलाकों में, जहां कई दुकानदार छोटे-छोटे गांवों में काम करते हैं, उनकी मेहनत और भी अहम हो जाती है। लेकिन जब महीनों तक मेहनताना न मिले, तो उनका हौसला टूटने लगता है। बावनकुले ने इस बैठक में साफ किया कि सरकार उनकी मेहनत को समझती है और जल्द से जल्द उनकी परेशानियां दूर करेगी। केंद्र को भेजा जाने वाला प्रस्ताव इस दिशा में एक बड़ा कदम है।

इस बैठक का एक और दिलचस्प पहलू था भुजबळ की मौजूदगी। उन्होंने भी दुकानदारों की मांगों को गंभीरता से लिया और बकाया कमीशन के लिए केंद्र से मिलने वाले फंड का हिस्सा तुरंत देने के निर्देश दिए। यह दिखाता है कि सरकार इस मामले को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रखना चाहती। दुकानदारों के संघ ने भी इस कदम की सराहना की और उम्मीद जताई कि उनकी मांगें जल्द पूरी होंगी। यह पूरा मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि जो लोग समाज के सबसे जरूरी कामों में लगे हैं, उनकी मेहनत का सही समय पर मोल क्यों नहीं मिलता।

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