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Reason for waking up before alarm: क्यों अलार्म बजने से 5 मिनट पहले खुल जाती है नींद? जानिए वैज्ञानिक कारण!

Reason for waking up before alarm: क्यों अलार्म बजने से 5 मिनट पहले खुल जाती है नींद? जानिए वैज्ञानिक कारण!

Reason for waking up before alarm: हममें से कई लोगों ने यह अनुभव किया होगा कि अलार्म बजने से ठीक 5 मिनट पहले ही हमारी नींद खुल जाती है। यह एक सामान्य घटना लग सकती है, लेकिन इसके पीछे एक गहरा और वैज्ञानिक कारण छुपा है। यह घटना हमारी सर्केडियन रिदम (Circadian Rhythm) और शरीर की प्राकृतिक बॉडी क्लॉक (Body Clock) से जुड़ी है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।

प्राकृतिक घड़ी कैसे करती है काम?

हमारा शरीर एक अद्भुत जैविक प्रणाली है, जो दिन और रात के चक्र को समझने और उसके अनुसार खुद को ढालने में सक्षम है। इसे सर्केडियन रिदम (Circadian Rhythm) कहा जाता है। यह शरीर की 24 घंटे की आंतरिक घड़ी है, जो हमें समय पर सोने और जागने का संकेत देती है।

जब आप रोज़ाना एक ही समय पर जागने की आदत डालते हैं, तो यह आदत आपके दिमाग और शरीर के लिए एक नियम बन जाती है। अगर आपने अलार्म को सुबह 6 बजे के लिए सेट किया है, तो आपका मस्तिष्क इसे एक संकेत के रूप में लेता है और आपको ठीक 5:55 पर जागने के लिए तैयार करता है।

सर्केडियन रिदम का प्रभाव

इस प्रक्रिया में मस्तिष्क का हाइपोथैलमस (Hypothalamus) नामक हिस्सा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हिस्सा मेलाटोनिन हार्मोन को नियंत्रित करता है, जो हमें नींद का अनुभव कराता है। जैसे-जैसे सुबह का समय नजदीक आता है, मेलाटोनिन का स्तर कम होने लगता है, और शरीर जागने की तैयारी में आ जाता है।

इस तरह, यदि आप रोज़ सुबह 6 बजे जागने के आदी हैं, तो आपका मस्तिष्क पहले से ही यह अनुमान लगा लेता है और आपको अलार्म से कुछ मिनट पहले जगा देता है।

नींद के चरण और बॉडी क्लॉक का तालमेल

नींद कई चरणों में होती है: हल्की नींद, गहरी नींद, और आरईएम (Rapid Eye Movement) नींद। सुबह के समय जब आपकी बॉडी क्लॉक सक्रिय होती है, तो यह आपको हल्की नींद के चरण में ले आती है, जिससे जागना आसान हो जाता है।

यदि आपका अलार्म 6 बजे सेट है, तो आपका शरीर 5:50 से 5:55 के बीच हल्की नींद के चरण में पहुँच जाता है। इसीलिए, अलार्म बजने से ठीक पहले आपकी आँखें खुल जाती हैं।

नियमितता का असर

आपकी नींद और जागने का समय जितना नियमित होगा, यह प्रक्रिया उतनी ही प्रभावी होगी। जो लोग हर दिन अलग-अलग समय पर सोते और जागते हैं, उनके शरीर की आंतरिक घड़ी असंतुलित हो जाती है। ऐसे में उनकी नींद की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।


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