Rejaz Sydeek Booked Under UAPA: नागपुर शहर, जो महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, हाल ही में एक ऐसी घटना के लिए सुर्खियों में आया, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा। 8 मई 2025 को, केरल के 26 वर्षीय छात्र कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार रेजाज एम. शीबा सिद्दीक को नागपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। उनकी गिरफ्तारी के पीछे का कारण उनकी सोशल मीडिया पोस्ट थीं, जिनमें उन्होंने सरकार और सेना की दो सैन्य कार्रवाइयों—ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) और ऑपरेशन कागार (Operation Kagaar)—की आलोचना की थी। इन पोस्ट में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे भी शामिल थे। रेजाज को अब यूएपीए (UAPA), यानी गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 के तहत आरोपित किया गया है। यह कहानी रेजाज की गिरफ्तारी, उनके खिलाफ लगे आरोपों, और इस मामले से जुड़े विवादों की है, जो नई पीढ़ी के बीच चर्चा का विषय बन गई है।
रेजाज सिद्दीक, जो केरल विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्य के छात्र रहे हैं, लंबे समय से मानवाधिकार और पुलिस अत्याचार जैसे मुद्दों पर लेखन कर रहे हैं। वे मकतूब और काउंटर करंट्स जैसे समाचार मंचों के लिए लिखते हैं। उनकी लेखनी में अक्सर सामाजिक अन्याय और सरकारी नीतियों की आलोचना देखने को मिलती है। लेकिन नागपुर पुलिस का दावा है कि रेजाज की गतिविधियां केवल पत्रकारिता तक सीमित नहीं थीं। पुलिस के अनुसार, रेजाज का संबंध प्रतिबंधित माओवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) से है। उन्हें यूएपीए (UAPA) की धारा 38 (प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होना) और धारा 39 (प्रतिबंधित संगठन को समर्थन देना) के तहत आरोपित किया गया है। विशेष पुलिस महानिरीक्षक संदीप पाटिल, जो नक्सल विरोधी अभियानों का नेतृत्व करते हैं, ने बताया कि रेजाज की गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थीं।
रेजाज की गिरफ्तारी उस समय हुई, जब वे अपनी 24 वर्षीय दोस्त ईशा प्रिया कुमारी के साथ नागपुर के एक होटल में ठहरे थे। ईशा, जो पटना की एक कानून की छात्रा हैं, को भी कुछ घंटों के लिए हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। पुलिस ने रेजाज के होटल के कमरे से कई सामग्रियां जब्त कीं, जिनमें कार्ल मार्क्स की एक किताब, के. मुरली (अजित) की “क्रिटीकिंग ब्राह्मणवाद”, और माओवादी साहित्य से संबंधित कुछ पर्चे शामिल थे। इसके अलावा, एक टी-शर्ट भी जब्त की गई, जिसमें रेजाज ने कथित तौर पर दो खिलौना बंदूकें पकड़कर सोशल मीडिया पर तस्वीर पोस्ट की थी। पुलिस ने इस तस्वीर को गंभीरता से लिया और इसे भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा से जोड़ा।
रेजाज की सोशल मीडिया गतिविधियां इस मामले का केंद्र बिंदु हैं। पुलिस का कहना है कि रेजाज ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor), जो पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई थी, और ऑपरेशन कागार (Operation Kagaar), जो छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान है, की तीखी आलोचना की। एक पोस्ट में रेजाज ने कथित तौर पर लिखा था, “यह एक बच्चा है!!!! बच्चों को निशाना बनाना न्याय है??? भारतीय सेना मुर्दाबाद!!!!” इस पोस्ट में एक बच्चे की तस्वीर थी, और यह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कथित नागरिक हताहतों की ओर इशारा करती थी। पुलिस का दावा है कि रेजाज की पोस्ट में बार-बार “हिंदुत्व फासीवादी ताकतों को हराओ” और “हिंदुत्व को दफन करो” जैसे वाक्यांशों का इस्तेमाल हुआ, जो एक “जनवादी लोकतंत्र” स्थापित करने का आह्वान करते थे।
इस गिरफ्तारी से पहले, महाराष्ट्र पुलिस ने केरल पुलिस की आतंकवाद विरोधी दस्ते की मदद से रेजाज के कोच्चि स्थित घर पर छापा मारा था। इस छापेमारी में पुलिस ने उनके मोबाइल फोन, मेमोरी कार्ड, और कुछ किताबें जब्त की थीं। पुलिस ने रेजाज पर पहले भी कई आरोप लगाए थे। उन्हें भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 149 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी), 192 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 351 (आपराधिक धमकी), और 353 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान) के तहत भी आरोपित किया गया है। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत भी कार्रवाई की गई है। पुलिस ने रेजाज की हिरासत को 18 मई तक बढ़ाने की मांग की है, ताकि उनकी गतिविधियों की और जांच की जा सके।
पुलिस ने एक और गंभीर दावा किया है कि रेजाज का संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) से हो सकता है। हालांकि, पुलिस ने यह भी कहा कि इस दावे की पुष्टि के लिए उनके फोन कॉल रिकॉर्ड का फॉरेंसिक विश्लेषण अभी चल रहा है। इस तरह के आरोपों ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। रेजाज के समर्थकों का कहना है कि यह एक पत्रकार को चुप कराने की साजिश है। कोच्चि में रेजाज सॉलिडैरिटी फोरम नामक एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें “पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है” और “रेजाज को रिहा करो” जैसे नारे लगाए गए।
रेजाज का इतिहास भी इस मामले में महत्वपूर्ण है। 2023 में, जब वे केरल के कालमस्सेरी विस्फोट मामले को कवर कर रहे थे, तब उनकी एक रिपोर्ट में पुलिस की कथित मुस्लिम विरोधी भावनाओं को उजागर किया गया था। इस रिपोर्ट के बाद उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके अलावा, जब वे कर्नाटक के कोडगु में एक 18 वर्षीय आदिवासी मजदूर की मौत की खबर कवर करने गए थे, तब भी पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था। रेजाज के दोस्तों का कहना है कि पिछले तीन सालों से उनकी निगरानी की जा रही थी। उन्होंने कई बार सोशल मीडिया पर केरल राज्य विशेष शाखा (एसएसबी) के अधिकारियों द्वारा पीछा किए जाने की बात कही थी।
नागपुर पुलिस का कहना है कि रेजाज की गिरफ्तारी खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि रेजाज शहर के एक होटल में ठहरे हैं। इसके बाद लकड़गंज पुलिस स्टेशन में 7 मई को एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें रेजाज पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन का सदस्य होने का आरोप लगाया गया। स्थानीय मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें 13 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया था, और अब उनकी हिरासत को और बढ़ाया गया है। पुलिस का यह भी कहना है कि रेजाज जम्मू-कश्मीर में माओवादी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहे थे।
इस मामले ने नई पीढ़ी के बीच एक गंभीर बहस छेड़ दी है। एक तरफ, कुछ लोग इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला मानते हैं और कहते हैं कि सरकार को ऐसी गतिविधियों पर सख्ती करनी चाहिए। दूसरी तरफ, रेजाज के समर्थक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हैं। खासकर युवा, जो सोशल मीडिया पर अपनी राय रखने के आदी हैं, इस मामले को करीब से देख रहे हैं। रेजाज की पोस्ट, जिसमें उन्होंने सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना की थी, आज के समय में सोशल मीडिया की ताकत और उससे जुड़े खतरों को भी उजागर करती हैं।