बॉम्बे हाईकोर्ट ने मिल मजदूरों की लड़ाई में बड़ा फैसला सुनाया है! कोर्ट ने भायखला में बंद पड़ी माफतलाल मिल के एक हिस्से को तोड़े जाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने सरकार, बीएमसी, और बिल्डर – तीनों को ही इस इमारत को गिराने और इसके हिस्से का इस्तेमाल करने से मना किया है।
माफतलाल मिल मुंबई की बहुत पुरानी मिलों में से एक थी, जो अब बंद हो चुकी है। सालों पहले, मिल की ज़मीन बेचने की इजाजत देते समय सरकार ने एक शर्त रखी थी। इसके तहत, बिल्डर को मिल मज़दूरों के लिए रोज़गार के इंतज़ाम करने थे। इसके लिए मिल के अंदर एक नई इमारत बनानी थी। लेकिन अब बिल्डर, सरकार के साथ मिलकर इस हिस्से को तोड़कर दूसरा काम करना चाहता था।
मज़दूरों ने कोर्ट में बिल्डर और सरकार के खिलाफ याचिका लगाई थी। कोर्ट को उनका पक्ष सही लगा। जजों ने कहा कि मुनाफे के लालच में मज़दूरों का रोज़गार छीनना गलत है। अदालत ने साफ कहा कि मुंबई में पहले से ही गरीब और अमीर के बीच बहुत बड़ा अंतर है। इस फैसले से कम से कम कुछ मज़दूरों के परिवारों को रोजी-रोटी मिलने की उम्मीद बची है।
कोर्ट के इस फैसले को मिल मजदूरों की बड़ी जीत माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि फैसला यह भी दिखाता है कि बिल्डरों की मनमानी को अदालतें बर्दाश्त नहीं करेंगी। इस फैसले से दूसरे मज़दूर समूहों का भी हौसला बढ़ेगा।
माफतलाल मिल भायखला में वीर जिजामाता चिड़ियाघर के बगल में स्थित थी। मिल की ज़मीन का कुछ हिस्सा चिड़ियाघर को मुफ्त में देने की भी शर्त थी। बिल्डर ने नई इमारत का निर्माण तो किया था, लेकिन अब उसे बंद करके मिल के उस हिस्से का दूसरा इस्तेमाल करना चाहता था।