मुंबई में 1993 के बम ब्लास्ट्स के दौरान जानलेवा बम डिफ्यूज़ करके सैकड़ों लोगों की जान बचाने वाले रिटायर्ड मेजर वसंत जाधव अब भी सरकारी उपेक्षा के शिकार हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी व्यथा बताते हुए पत्र लिखा था, लेकिन मंत्रालय ने उस पत्र को ऐसे अधिकारी को भेज दिया, जिसका पद ही मौजूद नहीं है!
मेजर जाधव उस वक्त BCAS (ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी) के मुंबई एयरपोर्ट स्थित बॉम्ब डिटेक्शन एंड डिस्पोज़ल स्क्वॉड के इंचार्ज थे। 31 साल पहले दादर में एक स्कूटर में 12 किलो RDX बम लगाया गया था। मेजर जाधव ने अपनी जान जोखिम में डालकर उसे डिफ्यूज़ किया था। BCAS के ज़रिए उनका नाम प्रेसिडेंट्स पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री के लिए भेजा गया, लेकिन गृह मंत्रालय ने बिना कोई वजह बताए उनकी सिफारिश खारिज कर दी।
मेजर जाधव के साथ सेना में काम करने वाले कई जवानों को अलग-अलग अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया, लेकिन वो आज भी इन्साफ का इंतज़ार कर रहे हैं! मार्च में उन्होंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई और उसी जगह एक दिन का अनशन भी किया जहां उन्होंने बम डिफ्यूज़ किया था। इस पर गृह मंत्रालय के अंडरसेक्रेटरी डीके घोष ने उनका पत्र महाराष्ट्र के होम डिपार्टमेंट के चीफ सेक्रेटरी और BCAS के सेक्रेटरी को भेज दिया, जबकि ये दोनों पद अब हैं ही नहीं!
मेजर जाधव बेहद निराश हैं। उन्होंने कहा, “पहली बार नहीं है कि मुझे इस तरह का बेतुका जवाब मिला है। अब तक मुझे आठ बार ऐसे लापरवाही भरे जवाब मिल चुके हैं। ये अवॉर्ड 1951 से दिया जा रहा है, इन्हें अब तक कायदे से पात्रता का मापदंड तो बना लेना चाहिए था! लेकिन मापदंड बनाने की बजाय ये लोग मुझे प्रताड़ित कर रहे हैं।”
ब्यूरोक्रेसी की ऐसी लापरवाही पर खून खौलता है! 31 साल पहले जाधव ने जो किया था वो काबिले-तारीफ था। सरकार को उनकी बहादुरी का सम्मान करना ही चाहिए।
मेजर जाधव पिछले 31 साल में 369 बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय को अपनी बात बता चुके हैं। हर बार उन्हें अलग-अलग वजह देकर टरका दिया गया।