महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। एनसीपी शरद गुट के प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मराठा पातशाही के महान योद्धा महादजी शिंदे के नाम पर ‘राष्ट्र गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया। इस घटनाक्रम के बाद राज्य की राजनीति में नए विवाद ने जन्म ले लिया है। विशेष रूप से महाविकास अघाड़ी के सहयोगी दलों के बीच तनाव बढ़ गया है।
शिवसेना (उद्धव गुट) ने किया विरोध
शिवसेना उद्धव गुट के प्रमुख नेता संजय राऊत ने शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये सम्मान केवल एकनाथ शिंदे का नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से अमित शाह का भी सम्मान है। उन्होंने कहा कि ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने महाराष्ट्र को विभाजित करने का काम किया। संजय राउत ने ये भी कहा कि शरद पवार एक वरिष्ठ नेता हैं और उनका सम्मान किया जाता है, लेकिन जिन्होंने बालासाहेब ठाकरे की विरासत को तोड़ा और महाराष्ट्र को धोखा दिया, उन्हें सम्मानित करना हर मराठी व्यक्ति के लिए दुखद है।
एनसीपी के सांसद अमोल कोल्हे ने दिया जवाब
इस पूरे विवाद पर एनसीपी शरद गुट के सांसद अमोल कोल्हे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने संजय राऊत के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि शरद पवार हमेशा से महाराष्ट्र की संस्कृति और परंपराओं को संजोए रखने वाले नेता रहे हैं। अमोल कोल्हे ने आगे कहा कि राजनीति में शिष्टता बनाए रखना आवश्यक है और हर मुद्दे को राजनीति से जोड़ना सही नहीं है।
केवल एकनाथ शिंदे नहीं, कई अन्य भी हुए सम्मानित
अमोल कोल्हे ने इस बात पर भी जोर दिया कि मराठी साहित्य सम्मेलन के मंच पर केवल एकनाथ शिंदे को ही नहीं, बल्कि 14-15 अन्य लोगों को भी सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा कि हर विषय पर राजनीति करना उचित नहीं है। साथ ही, उन्होंने सवाल उठाया कि यदि उद्धव ठाकरे अजित पवार से मुलाकात करते हैं तो उसे किस रूप में देखा जाना चाहिए? हर चीज में राजनीति करना मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
राजनीति में बढ़ती तनातनी
एकनाथ शिंदे को राष्ट्र गौरव पुरस्कार मिलने के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति और अधिक जटिल हो गई है। खासतौर पर महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।
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