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Role of Paramilitary in Border Security: बार्डर पर ऑर्मी की तैनाती क्यों नहीं होती? BSF और ITBP को ही ये जिम्मेदारी क्यों

Role of Paramilitary in Border Security: बार्डर पर ऑर्मी की तैनाती क्यों नहीं होती? BSF और ITBP को ही ये जिम्मेदारी क्यों

Role of Paramilitary in Border Security: भारत की सीमाएं रेगिस्तानी मैदानों से लेकर हिमालय की बर्फीली चोटियों और बांग्लादेश की हरी-भरी सीमाओं तक फैली हुई हैं। इन विशाल और विविध भौगोलिक सीमाओं की सुरक्षा एक अनोखी चुनौती है। इस जिम्मेदारी को मुख्य रूप से अर्धसैनिक बलों के कंधों पर सौंपा गया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि सीमा सुरक्षा (Border Security) का यह दायित्व सेना के बजाय अर्धसैनिक बलों को ही क्यों दिया जाता है? इस लेख में हम इस सवाल का जवाब सरल और आकर्षक तरीके से समझेंगे, ताकि नई पीढ़ी के पाठक इसे आसानी से समझ सकें। इस लेख में दो SEO-अनुकूल कीफ्रेज़ का उपयोग किया जाएगा: सीमा सुरक्षा (Border Security) और अर्धसैनिक बलों की भूमिका (Role of Paramilitary Forces)।

भारत की सीमाओं की रक्षा का काम सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जैसे अर्धसैनिक बलों को सौंपा गया है। ये बल विशेष रूप से सीमा सुरक्षा (Border Security) के लिए प्रशिक्षित होते हैं। इनका मुख्य कार्य सीमा पर घुसपैठ, तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना है। यह काम युद्धकालीन सैन्य अभियानों से अलग है, जहां सेना का ध्यान बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य कार्रवाइयों पर होता है। अर्धसैनिक बलों को स्थानीय परिस्थितियों और सीमा क्षेत्रों की विशेष जरूरतों के लिए तैयार किया जाता है, जो उन्हें इस कार्य के लिए उपयुक्त बनाता है।

दुनिया भर में यह प्रथा आम है। अमेरिका में यूएस बॉर्डर पेट्रोल मेक्सिको और कनाडा की सीमाओं की निगरानी करता है। रूस में रूसी सीमा सेवा, जो सेना से अलग एक अर्धसैनिक बल है, सीमाओं की सुरक्षा करती है। इसी तरह, चीन में पीपुल्स आर्म्ड पुलिस और पाकिस्तान में पाकिस्तान रेंजर्स जैसे बल सीमा सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं। भारत में भी अर्धसैनिक बलों की भूमिका (Role of Paramilitary Forces) को इसी तरह महत्व दिया जाता है। बीएसएफ, जो दुनिया के सबसे बड़े अर्धसैनिक बलों में से एक है, भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की रक्षा करती है। इसके लगभग 2.65 लाख जवान 6,385 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करते हैं।

आईटीबीपी भारत-चीन सीमा, यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की सुरक्षा करती है। यह बल हिमालय के कठिन और बर्फीले इलाकों में काम करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित है। इसी तरह, एसएसबी नेपाल और भूटान की सीमाओं की देखभाल करता है और स्थानीय समुदायों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन बलों की विशेषज्ञता स्थानीय भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप होती है, जो उन्हें सेना से अलग बनाती है। सेना को व्यापक सैन्य अभियानों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जबकि अर्धसैनिक बलों का ध्यान सीमा पर शांतिकालीन सुरक्षा पर होता है।

सीमा सुरक्षा (Border Security) के लिए अर्धसैनिक बलों का उपयोग लागत के दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है। सेना की तैनाती और रखरखाव में भारी खर्च आता है, क्योंकि इसमें टैंक, तोपखाने और अन्य बड़े हथियारों का उपयोग होता है। दूसरी ओर, अर्धसैनिक बल हल्के हथियारों और कम लागत वाले उपकरणों के साथ काम करते हैं। इससे संसाधनों का उपयोग कम होता है, और सेना को रणनीतिक और युद्धक तैयारियों के लिए रिजर्व रखा जा सकता है। भारत में अर्धसैनिक बल गृह मंत्रालय के अधीन होते हैं, जो सीमा और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों को देखता है, जबकि सेना रक्षा मंत्रालय के अधीन होती है। यह प्रशासनिक विभाजन शांतिकाल में सिविल प्रशासन और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करता है।

कुछ खास परिस्थितियों में, जैसे भारत-चीन सीमा पर एलएसी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में, आईटीबीपी के साथ-साथ भारतीय सेना की टुकड़ियां भी तैनात की जाती हैं। इसका कारण इन क्षेत्रों का रणनीतिक महत्व और विवादित स्थिति है। उदाहरण के लिए, 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद सेना की तैनाती बढ़ाई गई। इसी तरह, भारत-पाकिस्तान सीमा पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बीएसएफ और सेना मिलकर काम करते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र आतंकवादी घुसपैठ के लिए संवेदनशील है। फिर भी, शांतिकाल में अर्धसैनिक बल पहली रक्षा पंक्ति के रूप में काम करते हैं, और युद्ध की स्थिति में वे सेना के साथ समन्वय में कार्य करते हैं।

अर्धसैनिक बलों की भूमिका (Role of Paramilitary Forces) को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने हाल के वर्षों में उनके आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया है। ड्रोन, निगरानी उपकरण और बेहतर हथियारों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। ये बल न केवल सीमा सुरक्षा करते हैं, बल्कि स्थानीय समुदायों के साथ संबंध बनाए रखने और क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

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