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संजय दत्त की जिंदगी का रोलर कोस्टर: कैसे मुंबई के ‘बाबा’ ने हर मुसीबत को मात दी?

संजय दत्त की जिंदगी का रोलर कोस्टर: कैसे मुंबई के 'बाबा' ने हर मुसीबत को मात दी?

बॉलीवुड के ‘मुन्नाभाई’ यानी संजय दत्त ने अपना 65वां जन्मदिन मनाया। फिल्मी दुनिया में 43 साल बिताने वाले इस अभिनेता ने करीब 180 फिल्मों में काम किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पर्दे पर दिखने वाले इस मजबूत अभिनेता की असली जिंदगी में कितने उतार-चढ़ाव आए? आइए जानते हैं संजय दत्त की जिंदगी के बारे में कुछ ऐसी बातें, जो शायद आपको पता नहीं होंगी।

संजय दत्त की जिंदगी का रोलर कोस्टर: कैसे मुंबई के 'बाबा' ने हर मुसीबत को मात दी?

मशहूर अभिनेता सुनील दत्त और नरगिस के बेटे संजय का बचपन शानदार था। लेकिन जवानी में कदम रखते ही उनकी जिंदगी में मुसीबतों की शुरुआत हो गई। जब वे अपनी पहली फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तभी उनकी मां नरगिस का देहांत हो गया। इस घटना ने उन्हें बहुत दुखी कर दिया। शायद इसी दुख में उन्होंने नशे का सहारा लिया और धीरे-धीरे ड्रग्स की लत लग गई।

संजय दत्त की जिंदगी का रोलर कोस्टर: कैसे मुंबई के 'बाबा' ने हर मुसीबत को मात दी?

नशे की इस बुरी आदत से छुटकारा पाने के लिए संजय को कई बार नशा छुड़ाने वाले केंद्रों में जाना पड़ा। वहां उन्होंने अपने आप को ठीक करने की कोशिश की। यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे वे इस बुरी आदत से बाहर निकलने लगे।

लेकिन जैसे ही उनकी जिंदगी पटरी पर आ रही थी, एक और बड़ी मुसीबत आ गई। 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के मामले में उनका नाम आ गया। इस केस में उन्हें पांच साल जेल में बिताने पड़े। जेल का समय बहुत मुश्किल था। लेकिन संजय ने वहां भी अपने आप को मजबूत रखा। उन्होंने अपने शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने की कोशिश की। जेल में बिताए समय के बारे में उन्होंने बाद में अपने दोस्तों और परिवार को बताया।

जेल से बाहर आने के बाद संजय ने फिर से फिल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होंने कई हिट फिल्में दीं और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई। लेकिन जिंदगी में फिर से एक बड़ी परेशानी आई। 61 साल की उम्र में उन्हें पता चला कि उन्हें फेफड़ों का कैंसर है, वो भी चौथे स्टेज का। यह खबर सुनकर कोई भी टूट सकता था, लेकिन संजय ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने इस बीमारी से भी लड़ने का फैसला किया।

संजय के जिम ट्रेनर सुनील शर्मा बताते हैं कि कैंसर के इलाज के दौरान भी संजय ने अपनी जिंदगी को आम की तरह जीने की कोशिश की। वे अपने परिवार के साथ समय बिताते और जब भी मौका मिलता, वर्कआउट करते। उन्होंने कभी नहीं सोचा कि वे बीमार हैं और हार मान लें।

संजय दत्त की जिंदगी का रोलर कोस्टर: कैसे मुंबई के 'बाबा' ने हर मुसीबत को मात दी?

संजय दत्त की जिंदगी में कई बार ऐसा वक्त आया जब लगा कि अब उनका करियर खत्म हो गया है। लेकिन हर बार उन्होंने वापसी की। चाहे नशे की लत हो या जेल का समय या फिर कैंसर, हर मुसीबत में उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी यह हिम्मत और जीने की चाह ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की ताकत दी।

संजय दत्त के जीवन में उनके दोस्तों और परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके करीबी दोस्त राशिद हकीम बताते हैं कि संजय अक्सर उनसे अपने जेल के अनुभव शेयर करते थे। उनकी मां नरगिस के साथ बिताए पल उनके लिए बहुत खास हैं। आज संजय अपनी पत्नी मान्यता और बच्चों इकरा और शहरान के साथ खुश हैं।

65 साल की उम्र में भी संजय दत्त अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखते हैं। वे रोज बैडमिंटन खेलते हैं और जिम में कसरत करते हैं। वे अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज करते हैं। साथ ही वे अपने खाने-पीने पर भी नजर रखते हैं।

संजय दत्त की जिंदगी एक किताब की तरह है, जिसमें कई मोड़ हैं। कभी वे ऊपर गए तो कभी नीचे आए। लेकिन हर बार उन्होंने अपने आप को संभाला और आगे बढ़े।

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