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RSS’s crucial role for BJP: महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में भी BJP के लिए जमीन तैयार करेगी RSS, बैठकों का दौर शुरू

RSS's crucial role for BJP: महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव में भी BJP के लिए जमीन तैयार करेगी RSS, बैठकों का दौर शुरू

RSS’s crucial role for BJP: महाराष्ट्र में 2025 में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी ने इन चुनावों के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है और इसमें आरएसएस (RSS) की अहम भूमिका रहने वाली है। विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में आरएसएस का योगदान (RSS Role) पहले ही सामने आ चुका है। अब स्थानीय निकाय चुनाव में भी आरएसएस की जमीनी पकड़ बीजेपी के लिए बड़ा फर्क ला सकती है।

बीजेपी की रणनीति में आरएसएस की भूमिका

बीजेपी ने चुनावों में आरएसएस के साथ मिलकर एक सशक्त योजना बनाई है। हाल ही में भयंदर में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भाग लिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य स्थानीय निकाय चुनाव में आरएसएस के सहयोग को और मजबूत करना था।

बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में आरएसएस की सक्रियता से उन्हें बड़ी सफलता मिली थी। अब स्थानीय निकाय चुनाव में भी बीजेपी आरएसएस के फ्रंट संगठनों के साथ मिलकर काम करेगी। उनका मानना है कि आरएसएस (RSS) के जरिए जमीनी स्तर पर समर्थन जुटाना चुनाव जीतने की कुंजी है।

बीएमसी चुनाव में आरएसएस का प्रभाव

इस बार बीएमसी (मुंबई नगर निगम) का चुनाव सबसे ज्यादा चर्चित है। बीएमसी पर पिछले 25 साल से शिवसेना का कब्जा रहा है। लेकिन शिवसेना के विभाजन के बाद यह पहली बार हो रहा है जब बीजेपी के पास बीएमसी पर अपनी पकड़ मजबूत करने का बड़ा मौका है। बीजेपी के लिए आरएसएस का सहयोग इस चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है।

बीएमसी के साथ-साथ महाराष्ट्र की 27 अन्य नगर पालिकाओं में भी चुनाव होने हैं। इनमें दो नई नगर पालिकाएं शामिल हैं, जहां पहली बार चुनाव होंगे। ऐसे में आरएसएस के जमीनी कार्यकर्ता बीजेपी के लिए एक बड़ा सहारा बन सकते हैं।

आरएसएस के फ्रंट संगठनों की भूमिका

आरएसएस का योगदान (RSS Role) सिर्फ प्रचार तक सीमित नहीं है। इसके फ्रंट संगठन स्थानीय स्तर पर लोगों से सीधा संपर्क करते हैं, उनकी समस्याओं को समझते हैं और उनके समाधान की कोशिश करते हैं। यही वजह है कि आरएसएस का जमीनी नेटवर्क बीजेपी को एक बड़ी बढ़त दिलाने में मदद करता है।

आरएसएस के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में सक्रियता से जुड़ते हैं। वे स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बीजेपी की छवि को मजबूत करते हैं। इससे बीजेपी को न केवल जनता का समर्थन मिलता है, बल्कि विपक्षी दलों के लिए चुनौती भी बढ़ जाती है।

महायुति बनाम महाविकास अघाड़ी

बीजेपी जहां आरएसएस (RSS) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति बना रही है, वहीं विपक्षी महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, एनसीपी, और शिवसेना-यूबीटी) में एकता की कमी दिखाई दे रही है। बीएमसी चुनाव इस बार बीजेपी और महाविकास अघाड़ी के लिए एक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है।

शिवसेना के विभाजन के बाद, बीजेपी को बीएमसी पर कब्जा करने का बड़ा मौका मिल गया है। आरएसएस के समर्थन से बीजेपी इस बार अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है।

चुनाव में देरी और विवाद

बीएमसी चुनाव में देरी को लेकर भी विवाद बना हुआ है। फिलहाल बीएमसी का प्रशासन एडमिनिस्ट्रेटर देख रहे हैं, जिससे विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। पिछली सरकार में शिवसेना-यूबीटी ने चुनाव में देरी के लिए बीजेपी और महायुति पर आरोप लगाए थे।

बीजेपी और आरएसएस का ध्यान अब इस बात पर है कि चुनाव समय पर हों और इसमें पार्टी को बढ़त मिले। आरएसएस (RSS) के जरिए बीजेपी यह सुनिश्चित कर रही है कि जमीनी स्तर पर कोई कमी न रहे।

महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनाव राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आरएसएस (RSS) की सशक्त साझेदारी ने शानदार नतीजे दिए थे। अब स्थानीय निकाय चुनाव में भी आरएसएस का योगदान (RSS Role) बीजेपी के लिए एक मजबूत आधार बना सकता है।

बीएमसी और अन्य नगर पालिकाओं में आरएसएस और बीजेपी की तैयारी इस बार और भी मजबूत नजर आ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गठजोड़ स्थानीय निकाय चुनावों में क्या परिणाम लाता है और महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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