Police Corruption: महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। वजह है शिवसेना (शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड का एक सनसनीखेज बयान, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके इस बयान ने न केवल सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि आम लोगों के बीच भी बहस छेड़ दी है। आखिर क्या है यह पूरा मामला? क्यों एक विधायक अपनी ही सरकार के खिलाफ इतने बड़े आरोप लगा रहा है? आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
बुलढाणा से विधायक संजय गायकवाड ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस भ्रष्टाचार (Police Corruption) को लेकर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस 50 लाख रुपये की अवैध वसूली को महज 50 हजार रुपये दिखाती है। यही नहीं, उन्होंने बुलढाणा पुलिस को “चोरों का सरदार” तक कह डाला। संजय गायकवाड ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए एक व्यक्तिगत अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि उनके घर के सामने उनकी कार जला दी गई थी, लेकिन पुलिस इस मामले की जांच में पूरी तरह नाकाम रही। उनका कहना था कि पुलिस न केवल अक्षम है, बल्कि कई बार चोरी का माल उनके घरों तक पहुंच जाता है। यह सुनकर हर कोई हैरान रह गया, क्योंकि यह आरोप सीधे तौर पर राज्य के गृह मंत्रालय और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर सवाल उठाते हैं।
संजय गायकवाड ने अपने बयान में यह भी कहा कि महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि हर नए कानून के साथ पुलिस का “हफ्ता” बढ़ जाता है। उन्होंने शराबबंदी और गुटखा बंदी जैसे नियमों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन कानूनों का फायदा उठाकर पुलिस अवैध वसूली करती है। उनका मानना है कि अगर पुलिस एक साल तक पूरी ईमानदारी से काम करे, तो राज्य से सारी गुंडागर्दी और अपराध खत्म हो सकते हैं। यह बयान न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आम लोग और जनप्रतिनिधि इस व्यवस्था से कितने निराश हैं।
संजय गायकवाड का यह बयान कोई पहला विवाद नहीं है। वह पहले भी अपने बड़बोलेपन के लिए चर्चा में रह चुके हैं। कुछ महीने पहले उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनकी खूब आलोचना हुई थी। इस बार उनके निशाने पर अपनी ही सरकार का पुलिस प्रशासन है। सवाल यह है कि क्या यह बयान उनकी निजी नाराजगी का नतीजा है या फिर इसके पीछे कोई सियासी मंशा छिपी है? कुछ लोग मानते हैं कि संजय गायकवाड इस तरह के बयानों से अपनी छवि एक बेबाक नेता के तौर पर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं, कुछ का कहना है कि यह बयान महायुति सरकार के भीतर की अंतर्कलह को उजागर करता है।
महाराष्ट्र में महायुति सरकार पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है। एक तरफ विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है, तो दूसरी तरफ गठबंधन के भीतर भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। संजय गायकवाड जैसे नेताओं के बयान सरकार की मुश्किलें और बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि वह उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने को कहेंगे। फडणवीस का कहना था कि पुलिस के खिलाफ इस तरह का बयान देना ठीक नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह की कार्रवाई से संजय गायकवाड जैसे नेताओं की जुबान पर लगाम लग पाएगी?
यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिंदे गुट के किसी नेता ने विवादित बयान देकर सरकार को मुश्किल में डाला हो। इससे पहले विधान परिषद सदस्य नीलम गोर्हे ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना पर पदों के बदले मर्सिडीज देने का आरोप लगाया था। इसी तरह सांसद नरेश म्हस्के ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर में फंसे पर्यटकों को वापस लाने के लिए किए गए इंतजामों पर तंज कसकर विवाद खड़ा किया था। इन सभी घटनाओं से साफ है कि शिंदे गुट के नेता अपनी बयानबाजी से बार-बार सरकार को असहज स्थिति में ला रहे हैं।
संजय गायकवाड के बयान ने आम लोगों के बीच भी चर्चा शुरू कर दी है। कई लोग उनके बयान से सहमत हैं और मानते हैं कि पुलिस में भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने लिखा कि पुलिस की कार्यशैली में सुधार की जरूरत है, क्योंकि आम लोग अक्सर उनकी लापरवाही का शिकार होते हैं। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि एक विधायक को इस तरह सार्वजनिक तौर पर अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने से बचना चाहिए। यह बहस न केवल पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि लोग अपने जनप्रतिनिधियों से कितना कुछ उम्मीद करते हैं।
संजय गायकवाड ने खास तौर पर बुलढाणा पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने दावा किया कि बुलढाणा में पुलिस और चोरों के बीच सांठगांठ है। उनके मुताबिक, कई बार चोरी का माल पुलिस वालों के घरों में मिलता है। यह एक गंभीर आरोप है, जो पुलिस की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। बुलढाणा जैसे छोटे शहरों में पुलिस और स्थानीय नेताओं के बीच रिश्ते अक्सर चर्चा का विषय रहते हैं। ऐसे में संजय गायकवाड का यह बयान उन तमाम लोगों की आवाज बन सकता है, जो पुलिस की कार्यशैली से नाराज हैं।
संजय गायकवाड के इस बयान का असर न केवल सियासी हलकों में, बल्कि पुलिस प्रशासन पर भी पड़ सकता है। एक तरफ यह बयान पुलिस सुधार की जरूरत को रेखांकित करता है, तो दूसरी तरफ यह महायुति सरकार के लिए एक नई चुनौती बन सकता है। अगर इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल जाएगा। वहीं, अगर संजय गायकवाड पर सख्ती की गई, तो यह शिंदे गुट के भीतर नाराजगी को बढ़ा सकता है। कुल मिलाकर, यह बयान महाराष्ट्र की सियासत में एक नए तूफान की शुरुआत हो सकता है।
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