School Safety Guidelines: स्कूल शिक्षा और खेल विभाग ने सभी स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए। यह कदम बदनाम करने वाली बदलापुर घटना (Badlapur Incident) के बाद आया, जिसने न केवल समाज को झकझोरा, बल्कि बॉम्बे हाई कोर्ट को भी इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया। आज की नई पीढ़ी, जो सुरक्षित और जागरूक भविष्य की ओर देख रही है, के लिए ये दिशा-निर्देश एक नई उम्मीद लेकर आए हैं। इस लेख में हम स्कूल सुरक्षा दिशा-निर्देश (School Safety Guidelines) और बदलापुर घटना (Badlapur Incident) के संदर्भ में महाराष्ट्र के प्रयासों को सरल और रोचक ढंग से समझेंगे।
पिछले साल अगस्त 2024 में बदलापुर के एक स्कूल में दो नन्हीं बच्चियों के साथ यौन शोषण की घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। इस घटना ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। जनता का आक्रोश सड़कों पर उतरा, और रेलवे स्टेशन पर छह घंटे तक ट्रैफिक ठप रहा। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया और सरकार को स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया। इसके जवाब में सरकार ने 23 पेज का एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया, जो स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है। यह संकल्प सरकारी, सहायता प्राप्त, गैर-सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों पर समान रूप से लागू होता है।
नए दिशा-निर्देशों का एक प्रमुख हिस्सा प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पॉक्सो) एक्ट, 2012 के सख्त पालन पर जोर देता है। इस कानून के तहत, 18 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ कोई भी अपराध होने पर स्कूलों को तुरंत पुलिस को सूचित करना अनिवार्य है। अगर स्कूल ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। बदलापुर घटना में स्कूल प्रबंधन ने इस कानून का पालन नहीं किया, जिसके कारण चार कर्मचारियों, जिसमें प्रिंसिपल भी शामिल थे, के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे एक महीने के भीतर सभी स्कूलों को इस कानून के बारे में जागरूक करें। इसके अलावा, स्कूलों में शिकायत पेटियां लगाई जाएंगी, जिन्हें सप्ताह में दो बार पेरेंट-टीचर एसोसिएशन और सखी सावित्री समिति के सदस्यों द्वारा गोपनीय रूप से जांचा जाएगा।
स्कूलों में भौतिक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए गए हैं। निजी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि सरकारी स्कूलों के लिए जिला निधि से इनके लिए फंड आवंटित किए जाएंगे। ये कैमरे कक्षा के प्रवेश द्वार, गलियारों, मुख्य द्वार, खेल के मैदान और शौचालयों के बाहर लगाए जाएंगे, ताकि हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके। बदलापुर घटना में यह सामने आया था कि स्कूल के अधिकांश सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे, और जो काम कर रहे थे, उन्होंने 15 दिनों तक कोई फुटेज रिकॉर्ड नहीं किया। इस कमी को दूर करने के लिए नए दिशा-निर्देशों में एक महीने का वीडियो बैकअप अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, स्कूलों में चारदीवारी, सुरक्षा गार्ड, और लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग शौचालय और कॉमन रूम की व्यवस्था भी अनिवार्य है। शौचालयों में पैनिक बटन या बजर लगाए जाएंगे, ताकि आपात स्थिति में बच्चे मदद मांग सकें।
स्कूल परिवहन की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, और छोटे बच्चों के लिए महिला अटेंडेंट की नियुक्ति अनिवार्य होगी। बस ड्राइवरों का नियमित ड्रग और अल्कोहल टेस्ट किया जाएगा, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। अगर कोई आपात स्थिति हो, तो प्रिंसिपल को बच्चे की जिम्मेदारी केवल महिला शिक्षक को सौंपनी होगी, जब तक कि माता-पिता या रिश्तेदार न आ जाएं। ये उपाय सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे स्कूल आने-जाने के दौरान भी सुरक्षित रहें।
साइबर सुरक्षा भी इन दिशा-निर्देशों का एक अहम हिस्सा है। आज की डिजिटल दुनिया में बच्चे ऑनलाइन खतरों, जैसे फिशिंग और सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल, का आसानी से शिकार हो सकते हैं। इसलिए, स्कूलों को बच्चों को ऑनलाइन जोखिमों के बारे में शिक्षित करने के लिए कहा गया है। स्कूलों में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर और इंटरनेट फिल्टर लागू किए जाएंगे, ताकि अनुचित सामग्री तक पहुंच को रोका जा सके। इसके अलावा, स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर पॉक्सो ई-बॉक्स, चिराग ऐप, और चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी, ताकि बच्चे जरूरत पड़ने पर मदद मांग सकें। चिराग ऐप, जिसे महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने विकसित किया है, बच्चों को शिकायत दर्ज करने का एक आसान तरीका प्रदान करता है।
बच्चों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, स्कूलों में काउंसलिंग सेवाएं शुरू की जाएंगी। इसके साथ ही, गुड टच और बैड टच के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को शामिल किया जाएगा। सखी सावित्री समितियां, जो 2022 में गठित की गई थीं, लड़कियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण को बढ़ावा देंगी और बाल विवाह को रोकने में मदद करेंगी। ये समितियां हर महीने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगी। इसके अलावा, स्कूलों में छात्र सुरक्षा समितियां बनाई जाएंगी, जो इन दिशा-निर्देशों के पालन की निगरानी करेंगी और अनुपालन प्रमाणपत्र को प्रमुखता से प्रदर्शित करेंगी। पुणे के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) को शिक्षकों को बाल संरक्षण और संकट प्रबंधन पर प्रशिक्षण देने का जिम्मा सौंपा गया है।
बदलापुर की घटना ने यह साफ कर दिया कि स्कूलों में सुरक्षा को लेकर पहले की व्यवस्थाएं नाकाफी थीं। इस घटना के बाद गठित नौ सदस्यीय जांच समिति ने पाया कि स्कूल के प्रबंधन ने न केवल घटना को छिपाने की कोशिश की, बल्कि अनिवार्य रिपोर्टिंग के नियमों का भी उल्लंघन किया। इस कारण, सरकार ने स्कूलों के लिए जवाबदेही तय करने पर जोर दिया है। अगर कोई स्कूल इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता, तो उसे सरकारी अनुदान से वंचित किया जा सकता है या उसकी मान्यता रद्द हो सकती है। यह कदम सुनिश्चित करता है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से ले।
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