उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को अवैध धर्मांतरण रैकेट का मास्टरमाइंड बताते हुए गिरफ्तार किया गया है। ये शख्स, जो कभी सड़कों पर अंगूठियां और ताबीज बेचता था, आज करोड़ों की संपत्ति का मालिक है। उसने हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर, धोखे और दबाव से इस्लाम कबूल करवाया। यूपी ATS ने इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को हिरासत में लिया। आइए, इस गोरखधंधे की पूरी कहानी जानते हैं।
सड़क से कोठी तक: छांगुर बाबा की काली कमाई
जमालुद्दीन, जिसे लोग छांगुर बाबा के नाम से जानते हैं, बलरामपुर के मधपुर गांव का निवासी है। पहले वो साइकिल पर टोने-टोटके का सामान बेचता था, लेकिन अचानक उसकी जिंदगी बदल गई। उसने खुद को ‘हजरत बाबा जमालुद्दीन पीर बाबा’ के रूप में प्रचारित किया और गरीबों, असहाय लोगों को चमत्कार, इलाज और पैसों का लालच देकर अपने जाल में फंसाया। जांच में खुलासा हुआ कि उसने 40-50 बार इस्लामिक देशों की यात्राएं कीं और विदेशी फंडिंग से अपने रैकेट को मजबूत किया। उसकी आलीशान कोठी, शोरूम, लग्जरी गाड़ियां और पुणे में 16 करोड़ की प्रॉपर्टी इस काले कारोबार का सबूत हैं।
‘धर्मांतरण रेट कार्ड’ का काला सच
छांगुर बाबा का रैकेट हिंदू लड़कियों को निशाना बनाता था। पुलिस को एक चौंकाने वाला ‘रेट कार्ड’ मिला, जिसमें धर्मांतरण की कीमतें जाति के आधार पर तय थीं: ब्राह्मण, क्षत्रिय या सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, OBC के लिए 10-12 लाख और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये। एक मामले में, लखनऊ की एक लड़की को फर्जी हिंदू पहचान बनाकर प्रेमजाल में फंसाया गया और फिर जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया। ये रैकेट न सिर्फ धोखे से चलता था, बल्कि डर और धमकी का भी सहारा लिया जाता था।
विदेशी फंडिंग का जाल
जांच में पता चला कि छांगुर बाबा के 40 से ज्यादा बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग आई, खासकर खाड़ी देशों और शारजाह के स्विस बैंक खातों से। ये पैसा धर्मांतरण, आलीशान कोठी, शोरूम और लग्जरी गाड़ियों में खर्च किया गया। ATS ने उसके ठिकानों से दस्तावेज, मोबाइल फोन और वीडियो बरामद किए, जो इस रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की ओर इशारा करते हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सहयोगियों का काला कारनामा
छांगुर बाबा अकेला नहीं था। मुंबई के नवीन रोहरा और उनकी पत्नी नीतू उर्फ नसरीन भी इस रैकेट का हिस्सा थे। 2015 में दुबई के एक इस्लामिक सेंटर में इनका धर्मांतरण हुआ, जहां नवीन का नाम जमालुद्दीन और उनकी बेटी का नाम सबीहा रखा गया। ये परिवार बलरामपुर में छांगुर के साथ रहता था और उटरौला में एक अस्पताल चलाता था, जो कथित तौर पर धर्मांतरण का अड्डा था। ATS ने इन दोनों को भी गिरफ्तार किया है, जबकि छांगुर का बेटा महबूब और अन्य सहयोगी मोहम्मद अहमद की तलाश जारी है।
बुलडोजर की गर्जना, कोठी ढहाई
छांगुर बाबा की अवैध कोठी, जो सरकारी जमीन पर बनी थी, को यूपी प्रशासन ने बुलडोजर से ढहा दिया। ये कोठी उसके काले कारोबार का मुख्य केंद्र थी, जहां CCTV, जर्मन शेफर्ड कुत्ते और एक मार्बल का घोड़ा अस्तबल भी मिला। तलाशी में शक्तिवर्धक दवाएं, विदेशी तेल और संदिग्ध बिल बुक बरामद हुए। बलरामपुर DM पवन अग्रवाल ने इसे सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बताया।
सख्त कार्रवाई, जांच तेज
यूपी ATS और STF ने इस मामले में गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया, जिसमें देशद्रोह, धोखाधड़ी और यूपी धर्मांतरण प्रतिषेध अधिनियम शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ऐसे समाज और राष्ट्र विरोधी तत्वों को चकनाचूर करेंगे।” राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और ED भी इस रैकेट की गहराई से जांच कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
छांगुर बाबा की गिरफ्तारी यूपी पुलिस की बड़ी कामयाबी है, लेकिन ये रैकेट का सिर्फ एक सिरा है। ATS अब फंडिंग के स्रोत, बाकी सहयोगियों और इस नेटवर्क की पहुंच का पता लगाने में जुटी है। क्या ये रैकेट सिर्फ बलरामपुर तक सीमित था, या देशभर में फैला है? क्या और छांगुर बाबा जैसे सरगना सक्रिय हैं? इन सवालों के जवाब जांच पूरी होने पर ही मिलेंगे।
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