महाराष्ट्र

Shani Shingnapur Temple Controversy: ट्रस्ट ने 167 कर्मचारियों को निकाला नौकरी से, जिनमें 144 हैं मुस्लिम समुदाय के

Shani Shingnapur Temple Controversy
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Shani Shingnapur Temple Controversy: महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में एक बड़ा और विवादास्पद फैसला लिया गया है। मंदिर ट्रस्ट ने 167 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है, जिनमें से 114 कर्मचारी मुस्लिम समुदाय से हैं। ट्रस्ट ने इस कार्रवाई का कारण अनुशासनहीनता और प्रशासनिक अनियमितताओं को बताया है। इस फैसले ने धार्मिक और राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है।

ट्रस्ट का दावा: अनुशासनहीनता के कारण बर्खास्तगी
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, कई कर्मचारी पिछले पांच महीनों से बिना किसी सूचना के काम पर नहीं आ रहे थे। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों में कृषि, कचरा प्रबंधन और शिक्षा विभाग से जुड़े लोग शामिल हैं। ट्रस्ट के ट्रस्टी अप्पासाहेब शेटे ने स्पष्ट किया कि ये कार्रवाई धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि कर्मचारियों की अनुपस्थिति और कामकाज में लापरवाही के कारण की गई है। उन्होंने कहा, “हमने कर्मचारियों को पहले ही चेतावनी दी थी, लेकिन नियमों का पालन न करने के कारण ये कठोर कदम उठाना पड़ा।”

आचार्य तुषार भोसले ने बताया ‘हिंदू समाज की जीत’
इस फैसले ने धार्मिक और राजनीतिक दबाव की अटकलों को हवा दी है। बीजेपी के आध्यात्मिक समन्वय मोर्चा के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने इस कार्रवाई को ‘सकल हिंदू समाज की जीत’ करार दिया। उन्होंने कहा, “मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति के विरोध में हमने सकल हिंदू समाज के नेतृत्व में भव्य मोर्चे का आयोजन किया था। इस दबाव में मंदिर प्रशासन को झुकना पड़ा। मैं सभी शनि भक्तों और हिंदू समाज का अभिनंदन करता हूं।”

गौरतलब है कि भोसले ने पहले ही 14 जून को बड़े आंदोलन का ऐलान किया था, और ठीक एक दिन पहले ट्रस्ट की बैठक में ये सामूहिक बर्खास्तगी का फैसला लिया गया।

धार्मिक या प्रशासनिक मुद्दा?
हालांकि, ट्रस्ट ने दावा किया है कि ये फैसला पूरी तरह प्रशासनिक आधार पर लिया गया है, लेकिन इस कदम ने इलाके में तनाव और बहस को जन्म दे दिया है। कई लोग इसे धार्मिक आधार पर लिया गया निर्णय मान रहे हैं, जिससे सियासी गलियारों में भी हलचल मची है।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस विवादास्पद फैसले पर अब सभी की नजरें राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या ये मामला और तूल पकड़ेगा, या प्रशासन इस पर कोई स्पष्ट रुख अपनाएगा? यह देखना बाकी है।

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