Shani Shingnapur Temple Muslim Employee Issue: महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर मंदिर, जो अपनी अनूठी परंपराओं और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक बड़े विवाद का केंद्र बन गया। यह पवित्र स्थल, जहां भक्त शनि देव की पूजा के लिए दूर-दूर से आते हैं, अब एक ऐसे मुद्दे के कारण चर्चा में है, जो धार्मिक भावनाओं और सामाजिक तनाव को उजागर करता है। मंदिर ट्रस्ट ने हाल ही में 167 कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया, जिनमें से 114 कर्मचारी मुस्लिम समुदाय (Muslim Employees, मुस्लिम कर्मचारी) से थे। इस फैसले ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि देशभर में बहस को जन्म दिया है।
शनि शिंगणापुर मंदिर अपनी खुली संरचना के लिए प्रसिद्ध है, जहां कोई छत या दीवार नहीं है, और भक्त सीधे शनि देव के पवित्र शिला की पूजा करते हैं। यह स्थान सदियों से आस्था का प्रतीक रहा है, लेकिन हाल के महीनों में मंदिर परिसर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति (Muslim Employment in Temple, मंदिर में मुस्लिम नियुक्ति) को लेकर तनाव बढ़ता गया। मंदिर में मरम्मत और निर्माण कार्य के दौरान कई मुस्लिम कर्मचारी कार्यरत थे। बताया जाता है कि इनकी संख्या 114 से 300 के बीच थी। इन कर्मचारियों की मौजूदगी को लेकर हिंदू संगठनों ने कड़ा विरोध जताया। उनका कहना था कि मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर गैर-हिंदू कर्मचारियों का होना धार्मिक परंपराओं और भावनाओं के खिलाफ है।
विवाद की शुरुआत तब हुई, जब मई 2025 में मंदिर के मंच पर ग्रिल लगाने के कार्य में कई मुस्लिम मजदूरों को शामिल देखा गया। इस घटना ने स्थानीय और धार्मिक संगठनों का ध्यान आकर्षित किया। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और भाजपा के आध्यात्मिक मोर्चे ने इसे हिंदू भावनाओं पर आघात बताया। इन संगठनों का कहना था कि मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए केवल हिंदू कर्मचारियों को ही कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मांसाहारी भोजन करने वाले कर्मचारियों का मंदिर परिसर में प्रवेश अस्वीकार्य है, क्योंकि यह मंदिर की आध्यात्मिक शुद्धता को प्रभावित करता है। इस मुद्दे ने जल्द ही तूल पकड़ लिया, और हिंदू संगठनों ने मंदिर ट्रस्ट पर दबाव डाला कि सभी मुस्लिम कर्मचारियों को तुरंत हटाया जाए।
इस दबाव के बीच, मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला लिया। ट्रस्ट ने कुल 167 कर्मचारियों को सेवा से हटाने का निर्णय लिया, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय से थे। ट्रस्ट ने अपने बयान में कहा कि यह फैसला अनुशासनहीनता और अनियमितताओं के कारण लिया गया। हालांकि, यह स्पष्ट है कि हिंदू संगठनों के लगातार विरोध और 14 जून 2025 को प्रस्तावित विशाल रैली की चेतावनी ने इस निर्णय को प्रभावित किया। इस रैली की घोषणा भाजपा आध्यात्मिक मोर्चा के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने की थी, जिन्होंने मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति को हिंदू भावनाओं के खिलाफ बताया था।
इस घटना ने शनि शिंगणापुर जैसे धार्मिक स्थल की प्रबंधन व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं। मंदिर में कर्मचारियों की नियुक्ति और उनके कार्यों का प्रबंधन हमेशा से संवेदनशील रहा है, क्योंकि यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि उन्होंने कर्मचारियों को हटाने का निर्णय पूरी जांच और विचार-विमर्श के बाद लिया, लेकिन इस फैसले ने सामुदायिक तनाव को और बढ़ा दिया। कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम धार्मिक एकता को प्रभावित कर सकता है, जबकि अन्य इसे मंदिर की परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में एक कदम मानते हैं।
शनि शिंगणापुर का यह विवाद केवल कर्मचारियों की नियुक्ति तक सीमित नहीं है। यह एक बड़े सामाजिक सवाल को भी उठाता है कि धार्मिक स्थलों पर काम करने वाले कर्मचारियों का चयन कैसे और किन आधारों पर किया जाना चाहिए। मंदिर में कार्यरत कर्मचारी, चाहे वे किसी भी समुदाय से हों, मंदिर की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों, जैसे सफाई, मरम्मत, और भक्तों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन जब इस तरह के मुद्दे धार्मिक भावनाओं से जुड़ जाते हैं, तो वे जटिल हो जाते हैं। शनि शिंगणापुर में पहले भी महिलाओं के मंदिर में प्रवेश को लेकर विवाद हो चुका है, और अब यह नया मुद्दा इस पवित्र स्थल की प्रबंधन व्यवस्था पर और अधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है।
मंदिर ट्रस्ट के इस फैसले ने स्थानीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि मंदिर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए यह एक जरूरी कदम था। वहीं, कुछ लोग इस फैसले को भेदभावपूर्ण मानते हैं और कहते हैं कि कर्मचारियों का चयन उनके कौशल और कार्यक्षमता के आधार पर होना चाहिए, न कि उनके धार्मिक पृष्ठभूमि के आधार पर। इस बीच, मंदिर में भक्तों की आवाजाही और पूजा-अर्चना सामान्य रूप से जारी है, लेकिन यह विवाद शनि शिंगणापुर की शांति और आध्यात्मिक माहौल पर एक सवालिया निशान जरूर छोड़ गया है।
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