महाराष्ट्र

Sharad Pawar with Ajit Pawar: एक मंच पर दिखे शरद और अजित पवार, जमकर किया इग्नोर, फिर भी चाचा ने मान ली भतीजे की ये बात

Sharad Pawar with Ajit Pawar: एक मंच पर दिखे शरद और अजित पवार, जमकर किया इग्नोर, फिर भी चाचा ने मान ली भतीजे की ये बात

Sharad Pawar with Ajit Pawar: महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार हमेशा से चर्चा में रहा है। लेकिन हाल ही में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में हुए विभाजन के बाद से चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) और भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) के बीच की खटास खुलकर सामने आ गई है। ताजा मामला तब सामने आया जब दोनों नेता एक ही मंच पर दिखाई दिए, लेकिन एक-दूसरे को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए अलग-अलग बैठे।

वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की वार्षिक बैठक में हुआ आमना-सामना

गुरुवार को वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की वार्षिक बैठक में शरद पवार और अजित पवार एक बार फिर आमने-सामने हुए। हालांकि, दोनों के बीच दूरी साफ झलक रही थी। कार्यक्रम में शरद पवार के बगल में अजित पवार के बैठने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से दूरी बनाए रखना ही बेहतर समझा।

यह एक हफ्ते में दूसरी बार था जब चाचा-भतीजे ने सार्वजनिक मंच साझा किया। इससे पहले, दोनों बारामती में ‘2025 कृषि महोत्सव’ के उद्घाटन समारोह में एक साथ नजर आए थे। लेकिन वहां भी दोनों ने एक-दूसरे को इग्नोर किया था।

अजित पवार ने रखी अपनी मांग, चाचा ने किया स्वीकार

कार्यक्रम के दौरान अजित पवार ने किसानों के लिए दी जाने वाली पुरस्कार राशि बढ़ाने की मांग रखी। उन्होंने कहा, “आज के समय में 10,000 रुपये का ज्यादा महत्व नहीं है। मेरी गुजारिश है कि यह राशि बढ़ाकर एक लाख रुपये की जाए।”

शरद पवार ने इस मांग को स्वीकार करते हुए घोषणा की कि अब से पुरस्कार राशि बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी जाएगी। इसके अलावा, अम्बालिका शुगर फैक्ट्री को दी जाने वाली कुल पुरस्कार राशि को भी 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया।

चाचा-भतीजे के बीच जारी तनाव

NCP में विभाजन के बाद से पवार परिवार में तनाव बढ़ गया है। अजित पवार ने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी के दूसरे गुट का नेतृत्व किया और भाजपा के साथ गठबंधन करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने।

इस विभाजन के बाद से दोनों नेताओं के बीच खटास और सार्वजनिक मंचों पर नजर आने लगी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान, दोनों गुटों के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली। हालांकि, अजित पवार ने दिसंबर में शरद पवार के दिल्ली स्थित घर जाकर उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी, लेकिन इसके बाद भी परिवार के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हो सके।

‘कृषि महोत्सव’ में भी दिखा टकराव

बारामती में आयोजित ‘कृषि महोत्सव’ के दौरान भी दोनों नेता एक ही मंच पर मौजूद थे। वहां भी चाचा-भतीजे ने एक-दूसरे से दूरी बनाए रखी। शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले तथा अजित पवार की पत्नी और राज्यसभा सांसद सुनेत्रा पवार भी इस कार्यक्रम में शामिल थीं। लेकिन इन दोनों के बीच भी बातचीत केवल औपचारिक मुस्कान तक सीमित रही।

पवार परिवार की राजनीतिक स्थिति

NCP के विभाजन ने न केवल पार्टी को, बल्कि पवार परिवार को भी दो हिस्सों में बांट दिया है। जहां एक तरफ शरद पवार ने अपने पुराने सहयोगियों के साथ NCP के एक धड़े को मजबूत करने की कोशिश की है, वहीं अजित पवार ने भाजपा और शिवसेना के महायुति गठबंधन के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं।

पारिवारिक तनाव के बावजूद, पवार परिवार की राजनीतिक स्थिति महाराष्ट्र में अभी भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।

क्या हो सकता है आगे?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पवार परिवार के बीच की इस दरार का प्रभाव महाराष्ट्र की राजनीति पर पड़ सकता है। शरद पवार और अजित पवार के अलग-अलग रास्ते अख्तियार करने से NCP की पकड़ कमजोर हो सकती है।

हालांकि, यह भी संभव है कि आने वाले समय में दोनों गुटों के बीच सुलह हो। लेकिन फिलहाल के हालात और मंचों पर उनकी दूरी देखकर यह कहना मुश्किल है कि ऐसा जल्दी हो पाएगा।

निष्कर्ष

शरद पवार और अजित पवार (Sharad Pawar with Ajit Pawar) के बीच की खटास NCP और पवार परिवार दोनों के लिए एक बड़ा संकट बन चुकी है। वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट की बैठक और ‘कृषि महोत्सव’ जैसी घटनाएं दिखाती हैं कि भले ही दोनों नेता एक मंच पर नजर आएं, लेकिन उनके बीच की राजनीतिक और पारिवारिक दूरियां फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र की राजनीति और पवार परिवार की एकता इस स्थिति से कैसे निपटती है।


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