Shinde Group Rift: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को उन्हीं के साथी विधायक चुनौती देने लगे हैं। जब शिंदे ने शिवसेना में बगावत की थी, तब उनके साथ खड़े हुए कई विधायकों को अब मंत्री पद नहीं मिला है। इससे 22 से ज्यादा विधायक नाराज हैं। वहीं, कुछ नेता दोहरी जिम्मेदारी संभाले हुए हैं, जिससे और भी असंतोष फैल रहा है।
संजय शिरसाट को पद से हटाया गया
संजय शिरसाट, जिन्होंने बगावत के समय उद्धव ठाकरे का खुलकर विरोध किया था, महायुति सरकार 1.0 में मंत्री नहीं बन पाए थे। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए शिंदे ने उन्हें सिडको (CIDCO) का अध्यक्ष बना दिया। लेकिन जब देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति सरकार 2.0 बनी, तब शिरसाट को सामाजिक न्याय मंत्री बनाया गया। नियमों के मुताबिक, मंत्री बनने के बाद उन्हें सिडको का पद छोड़ना था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
फडणवीस को जब इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने नगर विकास विभाग को निर्देश दिया और शिरसाट को सिडको अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। यह कदम यह बताता है कि नियमों का पालन न करने पर सरकार सख्त हो सकती है, चाहे वह कोई भी हो।
भरत गोगावले पर भी एक्शन की तैयारी
अब भरत गोगावले का नाम चर्चा में है। वे भी कैबिनेट मंत्री बनने के बाद से एसटी महामंडल के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही उन्हें भी यह पद छोड़ने के लिए कहा जाएगा।
Shinde Group Rift: क्या होगी आगे की राजनीति?
शिरसाट के हटने के बाद सिडको अध्यक्ष पद के लिए विधायकों के बीच होड़ शुरू हो गई है। महायुति सरकार में रस्साकशी तेज हो गई है, खासकर शिंदे गुट के भीतर। यह स्पष्ट है कि शिवसेना के भीतर चल रही यह खींचतान आने वाले समय में और भी सियासी हलचल मचा सकती है।