मुंबई

Uddhav vs Shinde Clash: बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव-शिंदे की जंग में मुंबई की सियासत गर्म

Uddhav vs Shinde Clash: बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव-शिंदे की जंग में मुंबई की सियासत गर्म

Uddhav vs Shinde Clash: मुंबई, एक ऐसा शहर जो केवल सपनों का गढ़ नहीं, बल्कि राजनीति का एक बड़ा रणक्षेत्र भी है। हर साल शिवसेना स्थापना दिवस (Shiv Sena Foundation Day) पर यह शहर एक बार फिर से सियासी जंग का गवाह बनता है। इस बार भी, 19 जून 2025 को, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दो धड़ों ने अलग-अलग आयोजनों के जरिए अपनी ताकत दिखाई। दोनों नेताओं ने न केवल एक-दूसरे पर तीखे हमले किए, बल्कि मुंबई की मराठी अस्मिता और बालासाहेब ठाकरे की विरासत को अपने पक्ष में करने की कोशिश की। यह सियासी टकराव आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के लिए एक बड़ा संदेश है।

शिवसेना स्थापना दिवस (Shiv Sena Foundation Day) मुंबई के लिए एक खास दिन है, जब मराठी मानुष की आवाज बुलंद होती है। इस बार उद्धव ठाकरे ने अपने धड़े, शिवसेना (यूबीटी), के आयोजन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिंदे गुट पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने बीजेपी पर महाराष्ट्र में हिंदी थोपने का आरोप लगाया और कहा कि अगर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ऐसा करने की कोशिश की, तो वे सफल नहीं होंगे। उद्धव ने 1993 के दंगों का जिक्र करते हुए याद दिलाया कि शिवसेना ने तब हिंदी भाषी लोगों की रक्षा की थी। उन्होंने बीजेपी पर सांप्रदायिक और भाषाई मुद्दों को भड़काने का आरोप लगाया, ताकि भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं से ध्यान हटाया जा सके।

उद्धव ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें शिंदे गुट से जुड़े 3,000 करोड़ रुपये के टेंडर को रद्द किया गया। उन्होंने धारावी पुनर्विकास परियोजना पर भी सवाल उठाए, जिसमें सरकार पर अडानी समूह को मुफ्त जमीन और स्टांप ड्यूटी में छूट देने का आरोप लगाया। उद्धव ने लाड़की बहिन योजना जैसे कल्याणकारी योजनाओं की उपेक्षा का भी जिक्र किया। उन्होंने बीजेपी और शिंदे के समर्थकों पर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ गठबंधन की संभावना को तोड़ने का आरोप लगाया। उद्धव ने कहा कि अगर मुंबई फिर से मराठी हाथों में आई, तो उनके विरोधियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर भी तंज कसा। उद्धव ने पूछा कि क्या वे देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री हैं, या सिर्फ बीजेपी के। उन्होंने बीजेपी की उस टिप्पणी की भी निंदा की, जिसमें विपक्षी गठबंधन इंडिया को प्रतिबंधित संगठन से जोड़ा गया। उद्धव ने बीजेपी से सवाल किया कि अगर विपक्ष आतंकवादी है, तो उनकी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में विपक्षी सांसदों का इस्तेमाल क्यों किया। उन्होंने बीजेपी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात कही।

दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे ने अपने धड़े के आयोजन में उद्धव ठाकरे पर पलटवार किया। उन्होंने उद्धव को राजनीतिक रूप से खत्म बता दिया और कहा कि जिसका कोई अस्तित्व नहीं, उसे खत्म करने की जरूरत ही नहीं। शिंदे ने खुद को बालासाहेब ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक बताया और कहा कि वे किसी को उकसाते नहीं, लेकिन उकसाने पर जवाब देना जानते हैं। उन्होंने उद्धव पर हिंदुत्व छोड़ने और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके बालासाहेब की विरासत को धोखा देने का आरोप लगाया। शिंदे ने दावा किया कि अगर बालासाहेब आज होते, तो वे उद्धव को कांग्रेस के साथ जाने की सजा देते।

शिंदे ने उद्धव की देशभक्ति और मराठी गौरव पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या उद्धव ने कभी आतंकी हमलों के पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। शिंदे ने यूबीटी के शासनकाल में भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए, जिनमें कोविड के दौरान शव बैग, मीठी नदी की सफाई, और स्कूलों के मिड-डे मील से जुड़े घोटाले शामिल थे। उन्होंने उद्धव पर बीएमसी के खजाने को लूटने का भी आरोप लगाया। शिंदे ने तंज कसते हुए कहा कि सत्ता में रहते हुए उद्धव ने मुंबई को लूटा और अब वह शहर का उद्धारक बनने का नाटक कर रहे हैं।

शिंदे ने मनसे के साथ उद्धव के संभावित गठबंधन पर भी चुटकी ली। उन्होंने कहा कि उद्धव पहले मनसे का विरोध करते थे और अब गठबंधन की बात कर रहे हैं। शिंदे ने अपने हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि वे आखिरी सांस तक हिंदुत्व से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि उनकी शिवसेना बालासाहेब की असली शिवसेना है, जबकि उद्धव की सेना सत्ता के लिए बेताब लोगों की जमात है।

मुंबई की सियासत में शिवसेना स्थापना दिवस (Shiv Sena Foundation Day) हमेशा से एक बड़ा मंच रहा है, जहां मराठी अस्मिता और हिंदुत्व के मुद्दे गूंजते हैं। इस बार भी दोनों धड़ों ने बीएमसी चुनावों से पहले अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की। उद्धव और शिंदे, दोनों ने मुंबई को अपने कब्जे में करने का दावा किया, लेकिन असली फैसला मुंबईकरों के हाथ में है। यह सियासी जंग न केवल शिवसेना की विरासत को लेकर है, बल्कि मुंबई के भविष्य को भी तय करेगी।

#ShivSena #MumbaiPolitics #UddhavThackeray #EknathShinde #BMCElections

ये भी पढ़ें: BMC Elections 2025: मुंबई में बीएमसी चुनाव, 4 सितंबर तक तय होंगी 227 वार्डों की सीमाएं

You may also like