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Shiv Sena Foundation Day: शिंदे और उद्धव गुटों का ताकत का प्रदर्शन, मुंबई में शिवसेना की 59वां स्थापना दिवस की जंग

Shiv Sena Foundation Day: शिंदे और उद्धव गुटों का ताकत का प्रदर्शन, मुंबई में शिवसेना की 59वां स्थापना दिवस की जंग
Shiv Sena (Eknath Shinde faction) workers put up posters ahead of the party's Foundation Day in Mumbai | PTI

Shiv Sena Foundation Day 2025: मुंबई की सियासत में एक बार फिर हलचल मचने वाली है। शिवसेना की स्थापना का 59वां जश्न (Shiv Sena Foundation Day) 19 जून को होने जा रहा है, और इस बार भी दोनों गुट—मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी)—अलग-अलग आयोजनों के साथ अपनी ताकत दिखाने को तैयार हैं। यह दिन न केवल शिवसेना के गौरवशाली इतिहास को याद करने का है, बल्कि यह आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC Elections) चुनावों के लिए भी एक बड़ा मंच साबित होगा। नई पीढ़ी के लिए यह मौका है यह समझने का कि कैसे राजनीतिक दल अपनी विरासत और विचारधारा को जीवित रखने के लिए जद्दोजहद करते हैं।

19 जून का दिन शिवसेना के लिए हमेशा खास रहा है। 1966 में बाल ठाकरे ने शिवाजी पार्क में शिवसेना की नींव रखी थी, जिसने मराठी मानुष के गर्व और हिंदुत्व के एजेंडे को अपनी पहचान बनाया। इस साल दोनों गुट इस ऐतिहासिक दिन को अपने-अपने अंदाज में मनाएंगे। एकनाथ शिंदे की शिवसेना वर्ली के एनएससीआई डोम में भव्य आयोजन करेगी, जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) सायन के शनमुखानंद हॉल में अपनी परंपरा को कायम रखेगी। दोनों गुट सुबह शिवाजी पार्क में बाल ठाकरे के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, लेकिन उनके समय अलग-अलग होंगे ताकि कोई टकराव न हो। यह दृश्य न केवल राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि दोनों गुट बाल ठाकरे की विरासत को अपने नाम करने की कोशिश में हैं।

शिंदे गुट का आयोजन विकास और हिंदुत्व (Development and Hindutva) के दोहरे एजेंडे पर केंद्रित होगा। उनकी पार्टी का कहना है कि हाल के विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन ने मुंबई की 36 में से 22 सीटें जीतीं, जो उनकी लोकप्रियता का सबूत है। शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना न केवल अपनी विचारधारा को मजबूत करना चाहती है, बल्कि बीएमसी चुनावों में भी अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है। 2017 में अविभाजित शिवसेना ने बीएमसी की 227 सीटों में से 84 सीटें जीती थीं, और अब शिंदे गुट उस विरासत को आगे बढ़ाने का दावा करता है। उनके आयोजन में नए सांसदों को सम्मानित किया जाएगा और कार्यकर्ताओं को आगामी चुनावों के लिए प्रेरित किया जाएगा।

दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ‘मुंबई बचाओ’ अभियान पर जोर देगी। यह अभियान धारावी पुनर्विकास परियोजना जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स और शहर के निजी हितों को सौंपे जाने की उनकी चिंताओं को सामने लाता है। उद्धव ठाकरे इस आयोजन में अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे और बीएमसी चुनावों के लिए रणनीति साझा करेंगे। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि यह स्थापना दिवस नए राज्य सरकार के गठन के बाद पहला है, इसलिए यह बेहद खास होगा। उद्धव ठाकरे इस मौके पर अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं। हाल ही में शिवसेना भवन के बाहर आदित्य ठाकरे और राज ठाकरे की तस्वीरों वाले बैनर देखे गए, जिनमें दोनों नेताओं के जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ एकजुट होने की अपील थी।

मुंबई की राजनीति में बीएमसी चुनाव हमेशा से एक बड़ा मंच रहे हैं। 2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनों गुट इस प्रतिष्ठित चुनाव में अपनी ताकत आजमाएंगे। मार्च 2022 से बीएमसी एक प्रशासक के अधीन है, और अब दोनों गुट इस चुनाव को अपनी साख बचाने की जंग के रूप में देख रहे हैं। शिंदे गुट का दावा है कि उनकी सरकार ने विकास के कई काम किए हैं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि वे मुंबई की असली पहचान और हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। यह टकराव न केवल राजनीतिक है, बल्कि यह भावनात्मक भी है, क्योंकि दोनों गुट बाल ठाकरे की विचारधारा को अपने साथ जोड़ने का दावा करते हैं।

शिवसेना का इतिहास मराठी गौरव और हिंदुत्व से गहराई से जुड़ा है। बाल ठाकरे ने 1966 में इस पार्टी को स्थानीय लोगों के हक की आवाज के रूप में शुरू किया था, जो बाद में हिंदुत्व के बड़े मंच पर उभरी। आज दोनों गुट इस विरासत को अपने-अपने तरीके से आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। शिंदे गुट का कहना है कि उनकी पार्टी ही असली शिवसेना है, क्योंकि उनके पास चुनाव आयोग द्वारा दी गई धनुष-बाण की निशानी है। वहीं, उद्धव ठाकरे की पार्टी का दावा है कि असली शिवसैनिक उनके साथ हैं, क्योंकि वे बाल ठाकरे के मूल विचारों को जीवित रखे हुए हैं। यह बहस नई पीढ़ी के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो सोशल मीडिया और राजनीतिक मंचों पर इन मुद्दों को गहराई से देख रही है।

दोनों आयोजनों में कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ और जोशीले भाषणों की उम्मीद है। शिंदे गुट ने अपने कार्यकर्ताओं को पूरे राज्य से बुलाया है, ताकि यह दिखाया जा सके कि उनकी पकड़ अब भी मजबूत है। दूसरी ओर, शिवसेना (यूबीटी) का शनमुखानंद हॉल में होने वाला आयोजन परंपरा और भावनाओं का प्रतीक है। यह दिन न केवल शिवसेना की स्थापना का उत्सव है, बल्कि यह दोनों गुटों के लिए अपनी ताकत और समर्थन को प्रदर्शित करने का अवसर भी है। मुंबई की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, यह दिन सियासी गर्मी और उत्साह से भरा होगा।

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