महाराष्ट्र

Aurangzeb grave: बीजेपी का नया शिवाजी कौन? औरंगजेब की कब्र पर मचा घमासान, पढ़ें सामना का तीखा वार!

Aurangzeb grave: बीजेपी का नया शिवाजी कौन? औरंगजेब की कब्र पर मचा घमासान, पढ़ें सामना का तीखा वार!

Aurangzeb grave: महाराष्ट्र में इन दिनों एक बड़ा विवाद छाया हुआ है। औरंगजेब की कब्र को लेकर उठी मांग ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। इसी बीच उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। सामना में लिखा गया कि बीजेपी के लिए अब औरंगजेब (Aurangzeb) छत्रपति शिवाजी महाराज से भी ज्यादा अहम हो गया है। यह बात सुनकर हर कोई हैरान है, क्योंकि महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज का नाम सम्मान और गर्व का प्रतीक है। फिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है? आइए, इसकी कहानी को थोड़ा करीब से समझते हैं।

शिवसेना (UBT) का कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन धर्म पर आधारित था, लेकिन वह सबको साथ लेकर चलते थे। उनका यह विचार बीजेपी को पहले भी पसंद नहीं था और अब भी नहीं है। सामना के संपादकीय में लिखा गया कि शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज कभी भी RSS या बीजेपी की विचारधारा के प्रतीक नहीं रहे। अब ये लोग मौके की नजाकत देखकर ‘जय शिवाजी’ और ‘जय संभाजी’ का नारा लगा रहे हैं। लेकिन असल में बीजेपी के लिए औरंगजेब ही नया शिवाजी बन गया है। यह बात महाराष्ट्र के लोगों के लिए चौंकाने वाली है, क्योंकि यहां औरंगजेब को कोई सम्मान नहीं देता, बल्कि शिवाजी महाराज की जय-जयकार होती है।

हाल ही में फिल्म ‘छावा’ के रिलीज होने के बाद यह विवाद और गहरा गया। RSS, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और बीजेपी के कुछ हिंदुत्ववादी नेताओं ने औरंगजेब की कब्र (Aurangzeb’s grave) के खिलाफ गुस्सा दिखाया। इन संगठनों ने उसकी कब्र को पूरी तरह तोड़ने की मांग उठाई और इसके लिए कर सेवा शुरू करने की बात कही। उन्होंने औरंगजेब की कब्र को अयोध्या की बाबरी मस्जिद से जोड़ा और कहा कि जैसे बाबरी को तोड़ा गया, वैसे ही यह कब्र भी ढहाई जाएगी। इसके लिए लोग फावड़े, कुदाल, सब्बल, JCB और बुलडोजर तक जुटाने लगे। लेकिन सामना में इसे महज एक नाटक बताया गया। संपादकीय में लिखा गया कि औरंगजेब अपनी कब्र में है और वह कभी बाहर नहीं आएगा। फिर इस ड्रामे की क्या जरूरत है?

सामना ने यह भी कहा कि औरंगजेब की कब्र को केंद्रीय सुरक्षा बलों की निगरानी में रखा गया है। यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है, जिसका नियंत्रण केंद्र सरकार के पास है। अगर सरकार सच में चाहे, तो इस कब्र की सुरक्षा हटा सकती है और इसे संरक्षित स्मारक का दर्जा खत्म कर सकती है। ऐसा करने से जमीन खाली हो जाएगी और टकराव की आशंका भी खत्म हो जाएगी। इससे कर सेवा जैसे शोशे की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। लेकिन सवाल यह है कि जब केंद्र में बीजेपी की सरकार है और महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बीजेपी से ही हैं, तो फिर यह कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा?

इस विवाद ने नागपुर में हिंसा को भी जन्म दिया। वहां औरंगजेब की कब्र को लेकर भड़के दंगों में पुलिस पर हमला हुआ और आगजनी की घटनाएं हुईं। सामना ने फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सिर्फ भाषण देते हैं, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाते। संपादकीय में पूछा गया कि 300 साल के इतिहास में नागपुर में कभी दंगे नहीं हुए, तो अब यह विवाद क्यों पैदा हुआ? फडणवीस ने कहा कि दंगाई बाहर से आए थे, लेकिन पुलिस तब तक क्या कर रही थी, जब तक ये लोग शहर में घुसकर हंगामा नहीं मचा गए? क्या गृह मंत्रालय के सूत्र सो रहे थे?

शिवसेना ने बीजेपी पर और भी गंभीर आरोप लगाए। सामना में लिखा गया कि औरंगजेब को खत्म करने की बात इसलिए की जा रही है, ताकि शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज को भी भुलाया जा सके। बीजेपी के एक सांसद प्रदीप पुरोहित ने लोकसभा में कहा कि पीएम मोदी ही उनके लिए शिवाजी हैं और पिछले जन्म में मोदी ही शिवाजी थे। यह सुनकर कई लोग हैरान रह गए। सामना ने इसे इतिहास को नष्ट करने की साजिश करार दिया। संपादकीय में कहा गया कि बीजेपी एक नया शिवाजी पैदा करना चाहती है और इसके लिए असली शिवाजी को मिटाने की कोशिश कर रही है।

महाराष्ट्र में हाल के दिनों में कई जगह तनाव देखने को मिला। नागपुर में कुरान की आयतें जलाने की खबर आई। राजापुर में मस्जिद में होली की लकड़ियां फेंककर दंगे भड़काने की कोशिश हुई। बीड में जबरन वसूली और हत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा। परभणी में भी दंगे हुए। सामना ने लिखा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र को एकजुट किया था। उनके एक पत्र में लिखा था कि अगर कहीं कुरान मिले, तो उसे सम्मान के साथ लौटा दो। लेकिन आज उनके नाम पर आगजनी और नफरत फैलाई जा रही है।


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