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Shiv Sena (UBT) on Pahalgam: शिव सेना (UBT) का बयान- पहलगाम हमले में खुफिया नाकामी, सरकार जवाबदेही ले!

Shiv Sena (UBT) on Pahalgam: शिव सेना (UBT) का बयान- पहलगाम हमले में खुफिया नाकामी, सरकार जवाबदेही ले!

Shiv Sena (UBT) on Pahalgam: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया। इस भयावह घटना में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस संकट की घड़ी में केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें राष्ट्रीय एकता और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदमों पर चर्चा हुई। हालांकि, शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद इस बैठक में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने सरकार के हर निर्णायक कदम का समर्थन करने का वादा किया। राष्ट्रीय एकता (National Unity) और खुफिया नाकामी (Intelligence Failure) जैसे मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया ने नई पीढ़ी के बीच चर्चा को जन्म दिया है।

पहलगाम हमला: एक राष्ट्रीय त्रासदी

पहलगाम का बाइसरण मीडो, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को खून से लाल हो गया। आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। आतंकियों ने लोगों से उनके धर्म और नाम पूछकर निशाना बनाया, जिसने इस घटना को और भी अमानवीय बना दिया। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी का सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है।

इस त्रासदी ने पूरे देश में आक्रोश की लहर पैदा की। मुंबई से लेकर दिल्ली तक, लोग सड़कों पर उतरे, और सोशल मीडिया पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता के संदेश गूंजने लगे। केंद्र सरकार ने तुरंत कदम उठाए, जिसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल था। इस बीच, राष्ट्रीय एकता का संदेश देने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, लेकिन शिव सेना (UBT) के सांसदों की अनुपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा।

शिव सेना (UBT) की अनुपस्थिति: कारण और समर्थन

शिव सेना (UBT) के सांसद अरविंद सावंत और संजय राउत गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 को हुई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हो सके। अरविंद सावंत ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखकर अपनी अनुपस्थिति का कारण बताया। उन्होंने लिखा कि अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण वे बैठक में नहीं पहुंच पाए, लेकिन यह समय राष्ट्रीय एकता दिखाने का है। सावंत ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सरकार के हर फैसले का समर्थन करती है। संजय राउत ने भी इस बात को दोहराया कि शिव सेना (UBT) आतंकवाद के खिलाफ सरकार के किसी भी कड़े कदम के साथ है।

हालांकि, उनकी अनुपस्थिति ने कुछ सवाल उठाए। नई पीढ़ी, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है, ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की। कुछ ने इसे गैर-जिम्मेदाराना कदम बताया, तो कुछ ने उनकी व्यस्तताओं को समझने की कोशिश की। सावंत और राउत दोनों संसदीय समितियों के दौरे पर थे, जो उनकी अनुपस्थिति का कारण हो सकता है। फिर भी, उनके समर्थन के बयान ने यह स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता देश की एकता और सुरक्षा है। यह नई पीढ़ी के लिए एक सबक है कि संकट के समय में व्यक्तिगत उपस्थिति से ज्यादा सामूहिक समर्थन मायने रखता है।

खुफिया नाकामी: शिव सेना (UBT) की आलोचना

शिव सेना (UBT) ने अपनी अनुपस्थिति के बावजूद इस हमले के लिए खुफिया नाकामी को जिम्मेदार ठहराया। उनकी पत्रिका ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में केंद्र सरकार और खुफिया एजेंसियों पर तीखा हमला बोला गया। संपादकीय में कहा गया कि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद भी कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हुई। अगस्त 2019 से अब तक, क्षेत्र में 197 सुरक्षाकर्मी, 135 नागरिक, और 700 आतंकवादी मारे गए हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि आतंकवाद अभी भी एक गंभीर चुनौती है।

संपादकीय ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल की भूमिका पर भी सवाल उठाए। इसे 2019 के पुलवामा हमले से जोड़ते हुए, शिव सेना (UBT) ने इसे खुफिया एजेंसियों की विफलता करार दिया। उन्होंने पूछा कि जब पर्यटकों को बाइसरण मीडो में जाने की अनुमति दी गई, तो वहां सुरक्षा क्यों नहीं थी? यह क्षेत्र, जो अमरनाथ यात्रा तक प्रतिबंधित रहता है, बिना पुलिस अनुमति के खोला गया, जिसके परिणामस्वरूप यह त्रासदी हुई। यह आलोचना नई पीढ़ी को यह सोचने पर मजबूर करती है कि सुरक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी जरूरी है।

कश्मीर नीति और धार्मिक सद्भाव पर सवाल

शिव सेना (UBT) ने अपनी आलोचना में केंद्र सरकार की कश्मीर नीति को भी निशाने पर लिया। ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में दावा किया गया कि अनुच्छेद 370 को हटाने का जश्न मनाने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) कश्मीर में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रही। कश्मीरी पंडितों के लिए किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं, और कई हिंदू परिवार घाटी से पलायन कर रहे हैं। यह बयान नई पीढ़ी के लिए एक गंभीर सवाल उठाता है कि क्या नीतियां सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए बनाई जा रही हैं?

संपादकीय में यह भी कहा गया कि पिछले दस वर्षों में देश में धार्मिक नफरत का माहौल बढ़ा है। शिव सेना (UBT) ने आरोप लगाया कि हर हमले के बाद पाकिस्तान को दोष देना BJP समर्थकों को खुश करने का तरीका हो सकता है, लेकिन यह कश्मीर की समस्याओं का समाधान नहीं है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग की, यह कहते हुए कि अगर ममता को अपने राज्य में हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो शाह को भी कश्मीर में हिंदुओं की हत्या की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। यह बयान नई पीढ़ी को राजनीतिक जवाबदेही के महत्व को समझाता है।

राष्ट्रीय एकता का आह्वान

शिव सेना (UBT) ने अपनी आलोचनाओं के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता का संदेश भी दिया। अरविंद सावंत ने अपने पत्र में लिखा कि यह समय देश को एकजुट दिखाने का है। संजय राउत ने भी कहा कि उनकी पार्टी आतंकवाद के खिलाफ सरकार के हर कदम के साथ है। यह संदेश नई पीढ़ी के लिए प्रेरक है, जो अक्सर राजनीतिक मतभेदों के बीच एकता की ताकत को भूल जाती है।

पहलगाम हमले ने पूरे देश को एकजुट कर दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सर्वदलीय बैठक के बाद कहा कि विपक्ष सरकार के हर कदम का समर्थन करता है। तृणमूल कांग्रेस, आप, और अन्य दलों ने भी आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाई। यह एकता नई पीढ़ी को यह सिखाती है कि संकट के समय में राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार कर देश के लिए एक साथ खड़ा होना जरूरी है।

सुरक्षा और जवाबदेही की चुनौती

पहलगाम हमले ने सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की कमियों को उजागर किया। शिव सेना (UBT) ने अपनी आलोचना में इस बात पर जोर दिया कि जब तक खुफिया नाकामी को ठीक नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं दोबारा हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को दोष देना समाधान नहीं है। इसके बजाय, सरकार को अपनी नीतियों और सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करना होगा।

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