महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के बाद से ठेकेदार जयदीप आप्टे की तलाश जोरों पर है। 26 अगस्त को इस घटना के बाद राज्य में भारी राजनीतिक हंगामा हुआ, जिसके चलते मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को माफी मांगनी पड़ी। इस लेख में, हम इस घटना के पीछे के कारणों, पुलिस की कार्रवाई, और इस मामले से जुड़े अन्य पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पुलिस की कार्रवाई: ठेकेदार की तलाश
7 से अधिक टीमें ढूंढ रही हैं ठेकेदार: प्रतिमा के ढहने के बाद से ठेकेदार जयदीप आप्टे फरार है। सिंधुदुर्ग पुलिस ने उसकी तलाश में सात से अधिक टीमें तैनात की हैं। पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, आप्टे के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया गया है, जिससे उसे देश छोड़ने से रोका जा सके। पुलिस की टीमें मुंबई, ठाणे, सिंधुदुर्ग, और कोल्हापुर समेत कई जगहों पर उसकी तलाश कर रही हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।
तकनीकी मदद का इस्तेमाल: पुलिस ने ठेकेदार को पकड़ने के लिए तकनीकी मदद का सहारा भी लिया है। इसके अलावा, पुलिस की एक टीम ठाणे जिले के कल्याण स्थित आप्टे के आवास पर गई, लेकिन वहां ताला लगा हुआ मिला। फिलहाल, पुलिस आप्टे के संभावित ठिकानों का पता लगाने में जुटी हुई है।
प्रतिमा निर्माण और ढहने का कारण
प्रतिमा निर्माण का ठेका: जयदीप आप्टे ने मराठा योद्धा शिवाजी महाराज की 35 फुट ऊंची प्रतिमा बनाने का ठेका लिया था। इस प्रतिमा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर किया था। हालांकि, उद्घाटन के नौ महीने बाद ही 26 अगस्त को यह प्रतिमा गिर गई। इस घटना के बाद, पुलिस ने आप्टे और ‘स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट’ चेतन पाटिल के खिलाफ लापरवाही और अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया। पाटिल को पिछले सप्ताह कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया था।
राजनीतिक विवाद
प्रतिमा के गिरने से महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस घटना के चलते महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जिसमें जनता की भावनाएं और राज्य की प्रतिष्ठा दोनों शामिल हैं।
आप्टे की गिरफ्तारी की उम्मीद
पुलिस के लगातार प्रयासों के बावजूद, अब तक आप्टे की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। हालांकि, पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा। इस घटना ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में सुरक्षा और संरचनात्मक निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक और कानूनी परिणा
यह मामला सिर्फ एक प्रतिमा के ढहने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक और कानूनी परिणाम भी हो सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।
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