फर्जी डॉक्टर का हैरत अंगेज खुलासा: क्या आपने कभी सुना है कि कोई ठग इतना शातिर हो कि बीमार लोगों की उम्मीदों का फायदा उठाकर लाखों रुपये लूट ले? आज हम आपको एक ऐसी सनसनीखेज कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो आपको हैरान कर देगी! ये कहानी है एक फर्जी डॉक्टर और उसके गैंग की, जो लकवाग्रस्त मरीजों को “ज़हरीला खून” निकालने का झांसा देकर ठगी करता था। आइए, इस दिल दहला देने वाले ठगी के किस्से को विस्तार से जानते हैं!
कैसे शुरू हुई ठगी की कहानी?
30 नवंबर 2023 को मुरथल के एक ढाबे पर एक 67 वर्षीय बुजुर्ग दंपति नाश्ता करने रुका। बुजुर्ग आंशिक रूप से लकवाग्रस्त थे। तभी उनकी मुलाकात मोहम्मद कासिम नाम के शख्स से हुई, जिसने खुद को नितिन अग्रवाल के रूप में पेश किया। कासिम ने दावा किया कि उसके पिता भी लकवे से पीड़ित थे, लेकिन “डॉ. आर ज़रीवाला” के इलाज से पूरी तरह ठीक हो गए। उसने दिल्ली के द्वारका में एक पता और संपर्क नंबर दिया, जिससे दंपति का भरोसा जीत लिया गया।
इस फर्जी डॉक्टर की व्यस्तता का ऐसा नाटक रचा गया कि वो कथित तौर पर दुबई और कनाडा में मरीजों का इलाज कर रहा था। इससे पीड़ित दंपति को लगा कि ये कोई बड़ा डॉक्टर है, जिस पर भरोसा किया जा सकता है।
फर्जी इलाज का नाटक: 5,000 रुपये प्रति बूंद!
4 दिसंबर को “डॉ. ज़रीवाला” और उसका सहायक समीर पीड़ित दंपति के घर पहुंचे। पहले समीर ने “हॉट टॉवल थेरेपी” का ढोंग रचा। फिर डॉक्टर ने ब्लेड से मरीज के शरीर पर चीरे लगाए और एक पाइप से खून चूसकर केमिकल लगे कपड़े पर थूका। जब कपड़ा पीला हुआ, तो दावा किया गया कि ये “ज़हरीला खून” है, जो बीमारी की जड़ था।
इस नकली इलाज के लिए डॉक्टर ने हर बूंद खून के लिए 5,000 रुपये की मांग की और कुल 25 लाख रुपये का खर्च बताया। दंपति ने 1 लाख रुपये नकद दिए और बाकी रकम बाद में देने का वादा किया। अगले दिन डॉक्टर ने 19 लाख रुपये ट्रांसफर करने का दबाव बनाया, दावा करते हुए कि दवाएं भेजनी हैं। जैसे ही पैसे ट्रांसफर हुए, सारे आरोपी गायब हो गए और उनके फोन बंद हो गए।
पुलिस की मेहनत से पकड़ा गया गैंग
जब दंपति को ठगी का शक हुआ, उन्होंने सेक्टर 65 थाने में शिकायत दर्ज की। पुलिस के लिए ये केस आसान नहीं था। महीनों की तकनीकी निगरानी और खुफिया जानकारी के बाद, एक मोबाइल नंबर की लोकेशन राजस्थान के सांगोद गांव में मिली। लेकिन वो नंबर एक महिला खेत मजदूर के पास था, जो फर्जी सिम कार्ड का हिस्सा थी।
4 अप्रैल को पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली, जब मोहम्मद कासिम को सांगोद से गिरफ्तार किया गया। उसने कबूल किया कि उसे इस ठगी से 2.5 लाख रुपये मिले थे। इसके बाद समीर के भाई आमिर को भी पकड़ा गया, जिसे 1.5 लाख रुपये का हिस्सा मिला था। मुख्य आरोपी “डॉ. ज़रीवाला” की पहचान मोहम्मद जाहिर के रूप में हुई, जो समीर के साथ अग्रिम जमानत पर था। लेकिन जांच में सहयोग न करने पर दोनों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की है।
“सिंघी गैंग” का काला कारोबार
पुलिस जांच में पता चला कि ये “सिंघी गैंग” पहले भी तेलंगाना, मध्य प्रदेश, हरियाणा और नोएडा में ऐसी ठगी कर चुका है। ये गैंग मासूम मरीजों और उनके परिवारों को निशाना बनाता था, उनके भरोसे का फायदा उठाकर लाखों रुपये ठग लेता था। अब पुलिस इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों और ठिकानों की तलाश में जुटी है।
इंसाफ की जीत
पीड़ित दंपति के बेटे हिमांशु ने कहा, “एक वक्त ऐसा आया जब हमें लगा कि हमारी सारी उम्मीदें खत्म हो गईं। लेकिन डीसीपी हितेश यादव और एसआई गौरव की मेहनत से न केवल हमें इंसाफ मिला, बल्कि हमारी पूरी रकम भी वापस मिल गई।” ये कहानी न केवल ठगी के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि ये भी सिखाती है कि हमें किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।
सावधान रहें, सुरक्षित रहें!
ये घटना हमें सिखाती है कि बीमारी के समय जल्दबाजी में लिए गए फैसले भारी पड़ सकते हैं। हमेशा डॉक्टर की डिग्री और क्लिनिक की विश्वसनीयता की जांच करें। अगर कोई चमत्कारी इलाज का दावा करे, तो सतर्क हो जाएं। अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे ठगों से बचाएं और पुलिस की मदद लें।
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