Sonia Gandhi Mahakumbh Snan: 24 जनवरी 2001 को सोनिया गांधी ने महाकुंभ में गंगा स्नान (Mahakumbh Snan) किया। उस समय वे कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, और देश में भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे। जब सोनिया गांधी ने संगम में डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की, तो इस घटना ने पूरे देश में राजनीतिक चर्चा छेड़ दी।
शंकराचार्य की सलाह और योजना
इस स्नान के पीछे एक खास योजना थी। कांग्रेस के करीब माने जाने वाले शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सुझाव दिया था कि सोनिया गांधी महाकुंभ स्नान (Mahakumbh Snan) करें। उनके मुताबिक, यह कदम उनकी छवि को बेहतर बनाएगा और विपक्ष के “विदेशी मूल” वाले आरोपों का जवाब देगा।
शंकराचार्य की सलाह पर कांग्रेस के तीन बड़े नेता—दिग्विजय सिंह, माखनलाल फोतेदार, और सुरेश पचौरी—ने मिलकर यह तय किया कि सोनिया गांधी संगम में गंगा डुबकी लगाएंगी।
सरकार ने रोका, लेकिन…
जब कांग्रेस ने महाकुंभ स्नान की तैयारी की, तो इलाहाबाद प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इसकी इजाजत नहीं दी। कांग्रेस को यह फैसला अनुचित लगा क्योंकि कुछ ही दिन पहले भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी को स्नान की अनुमति दी गई थी। कांग्रेस ने इसे भाजपा की राजनीति का हिस्सा बताया।
फिर भी गंगा स्नान किया
सभी अड़चनों के बावजूद, सोनिया गांधी 24 जनवरी को अपने सुरक्षा गार्ड्स और नेताओं के साथ गंगा स्नान करने पहुंचीं। उनके साथ बनारस से आए पारिवारिक पुरोहित थे, जिन्होंने पूरे विधि-विधान से पूजा करवाई। सोनिया गांधी ने गंगा में डुबकी लगाई, त्रिवेणी संगम पर पूजा की, और अपने हाथ में लाल धागे वाला कलावा बांधा।
तस्वीरों से मचा हड़कंप
सोनिया गांधी की गंगा में डुबकी लगाते हुए तस्वीरें तेजी से वायरल हो गईं। इटली में पैदा हुईं और रोमन कैथोलिक धर्म मानने वाली सोनिया गांधी का हिंदू परंपराओं के अनुसार पूजा करना एक बड़ा राजनीतिक संदेश था। उन्होंने अपने ससुराल के दिवंगत परिजनों के लिए भी पूजा की, जो कश्मीरी पंडित परिवार की बहू के तौर पर उनकी जिम्मेदारी मानी जाती है।
इस कदम को कई लोगों ने हिंदुत्व के प्रति नरम रुख और भारतीय संस्कृति से जुड़ाव के तौर पर देखा।
नतीजा
सोनिया गांधी का महाकुंभ स्नान (Mahakumbh Snan) सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि राजनीति में छवि बनाने का बड़ा कदम था। यह घटना उस समय की राजनीति में छवि और परंपरा के महत्व को दिखाती है।
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