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Tata Mumbai Marathon 2025: टाटा मुंबई मैराथन, सामाजिक मिशन के लिए एकजुट हुआ शहर, 270 से ज़्यादा एनजीओ ने जुटाए करोड़ों रुपये

Tata Mumbai Marathon 2025
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Tata Mumbai Marathon 2025: मुंबई की सड़कों पर हर साल की तरह इस बार भी एक अनोखा उत्सव देखने को मिला। टाटा मुंबई मैराथन 2025 (Tata Mumbai Marathon 2025) ने न केवल खेल और उत्साह का माहौल बनाया, बल्कि सामाजिक बदलाव की एक नई कहानी भी लिखी। इस साल 19 जनवरी को हुए इस मैराथन ने 53.62 करोड़ रुपये की विशाल राशि जुटाकर एक बार फिर साबित कर दिया कि यह सिर्फ़ एक दौड़ नहीं, बल्कि एक सामाजिक मिशन है। 270 से ज़्यादा गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) ने इस आयोजन में हिस्सा लिया और स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, पशु कल्याण और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में बदलाव लाने के लिए धन जुटाया। आइए, इस मैराथन की कहानी को और करीब से जानें और समझें कि कैसे यह आयोजन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बना।

टाटा मुंबई मैराथन की शुरुआत 2004 में हुई थी, और तब से यह भारत का सबसे बड़ा और एशिया का सबसे प्रतिष्ठित मैराथन बन चुका है। इस साल इसने अपनी 20वीं सालगिरह मनाई, और इस खास मौके पर 65,000 से ज़्यादा धावकों ने हिस्सा लिया। इनमें से कुछ ने 42.195 किलोमीटर की पूर्ण मैराथन में दौड़ लगाई, तो कुछ ने 21.097 किलोमीटर की हाफ मैराथन या 10 किलोमीटर की दौड़ में अपनी ताकत दिखाई। लेकिन सबसे खास थी ड्रीम रन श्रेणी, जिसमें 25,000 लोगों ने हिस्सा लिया। यह श्रेणी सिर्फ़ दौड़ने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों के लिए धन जुटाने के लिए बनाई गई है। इस साल ड्रीम रन में धावकों ने कैंसर जागरूकता, पुरुषों के अधिकार, और शिक्षा के अधिकार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। यह दृश्य देखकर लगता है कि मुंबई का दिल सिर्फ़ धड़कता नहीं, बल्कि दूसरों के लिए धड़कता है।

इस मैराथन की सबसे बड़ी ताकत है इसका परोपकारी मंच, जिसे यूनाइटेड वे मुंबई (United Way Mumbai) जैसे संगठन और मजबूत बनाते हैं। यूनाइटेड वे मुंबई 2009 से इस आयोजन का परोपकार साथी है और इसने 270 से ज़्यादा एनजीओ को एक मंच पर लाकर उनकी आवाज़ को बुलंद किया। इस साल इन संगठनों ने मिलकर 53.62 करोड़ रुपये जुटाए, जो स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, और पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में काम आएंगे। उदाहरण के लिए, श्रीमद राजचंद्र लव एंड केयर (SRLC) ने 10 करोड़ रुपये जुटाए और लगातार 13वें साल सबसे ज़्यादा धन जुटाने वाला संगठन बना। ऐसे संगठन न केवल धन जुटाते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता भी फैलाते हैं। यह देखकर गर्व होता है कि कैसे एक दौड़ पूरे देश में बदलाव की लहर ला सकती है।

मैराथन में हिस्सा लेने वाले धावकों की कहानियां भी कम प्रेरणादायक नहीं हैं। कैंसर पेशेंट्स एड एसोसिएशन (CPAA) के युवा स्वयंसेवकों ने गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को खत्म करने का संकल्प लिया और इसके लिए धन जुटाया। वहीं, न्याय प्रयास फाउंडेशन और वास्तव फाउंडेशन ने पुरुषों के अधिकारों पर जागरूकता फैलाई। एचडीएफसी बैंक के 1,500 कर्मचारियों ने शिक्षा के अधिकार और साइबर अपराधों की रोकथाम जैसे मुद्दों को उठाया। ये सभी लोग सिर्फ़ धावक नहीं, बल्कि बदलाव के दूत हैं। इनके प्रयासों से न केवल धन जुटा, बल्कि समाज में उन मुद्दों पर बात शुरू हुई जो अक्सर अनदेखे रह जाते हैं। टाटा मुंबई मैराथन 2025 ने दिखाया कि जब लोग एकजुट होते हैं, तो छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।

इस आयोजन की एक और खास बात है इसका समावेशी स्वरूप। इसमें हर उम्र और हर पृष्ठभूमि के लोग शामिल होते हैं। पूर्ण मैराथन में 12,167 धावकों ने हिस्सा लिया, जबकि हाफ मैराथन में 14,793 लोग दौड़े। 10 किलोमीटर की दौड़ में 8,416 धावकों ने अपनी ताकत दिखाई। इसके अलावा, चैंपियंस विद डिसएबिलिटी और सीनियर सिटीजन रन जैसी श्रेणियां भी थीं, जो यह दिखाती हैं कि यह मैराथन सिर्फ़ युवाओं के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो बदलाव का हिस्सा बनना चाहता है। मुंबई की सड़कों पर दौड़ते हुए ये धावक न केवल अपने लक्ष्य पूरे करते हैं, बल्कि समाज के लिए एक नई उम्मीद भी जगाते हैं।

मैराथन का मार्ग भी इसे और खास बनाता है। यह दौड़ छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू होकर फ्लोरा फाउंटेन, मरीन ड्राइव, हाजी अली, और बांद्रा-वर्ली सी लिंक जैसे मुंबई के प्रतिष्ठित स्थानों से होकर गुजरती है। इन रास्तों पर दौड़ते हुए धावकों को न केवल मुंबई की खूबसूरती देखने को मिलती है, बल्कि शहरवासियों का उत्साह भी उनका हौसला बढ़ाता है। लोग सड़कों के किनारे खड़े होकर तालियां बजाते हैं, नारे लगाते हैं, और धावकों का मनोबल बढ़ाते हैं। यह माहौल इतना जीवंत होता है कि थकान भी कहीं खो सी जाती है।

टाटा मुंबई मैराथन सिर्फ़ एक खेल आयोजन नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जो लोगों को जोड़ता है, उन्हें प्रेरित करता है, और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का मौका देता है। पिछले 20 सालों में इसने 470 करोड़ रुपये से ज़्यादा धन जुटाया है, जो 641 से ज़्यादा संगठनों के काम आया। इस साल का आयोजन भी उसी विरासत को आगे बढ़ाता है। 16 अप्रैल 2025 को होने वाले परोपकार पुरस्कार समारोह में उन सभी धावकों और संगठनों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने इस बदलाव में हिस्सा लिया। यह समारोह न केवल उनकी मेहनत को सराहेगा, बल्कि दूसरों को भी इस मिशन का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करेगा।


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