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तेरी मिट्टी में मिल जावां.. इंजीनियर बन लाइफ सेट थी, लेकिन चुनी फौज, देश पर कुर्बान कैप्टन बृजेश की कहानी

कैप्टन बृजेश

कैप्टन बृजेश थापा की कहानी एक ऐसे युवा की है जिसने अपने देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया। आइए इस वीर सपूत की जिंदगी और बलिदान को जानें।

कैप्टन बृजेश का जन्म 15 जनवरी को हुआ था। यह दिन सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता कर्नल भुवनेश के. थापा खुद सेना में थे। मां का नाम नीलिमा थापा है। बचपन से ही बृजेश ने सेना में जाने का सपना देखा था।

बृजेश एक अच्छे इंजीनियर थे। लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर सेना में जाने का फैसला किया। उन्होंने अपने पिता से कहा था कि वे देश और सेना से बहुत प्यार करते हैं, इसलिए सेना में जाना चाहते हैं।

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में एक सैन्य अभियान के दौरान कैप्टन बृजेश शहीद हो गए। उनके साथ चार और सैनिक और एक स्थानीय पुलिसकर्मी भी शहीद हुए। वे आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने साथियों की रक्षा करते हुए शहीद हुए।

बृजेश के माता-पिता को अपने बेटे पर गर्व है। हालांकि उनका दुख भी बहुत गहरा है। उनकी मां ने कहा कि वे अपने बेटे पर गर्व करती हैं, लेकिन उनका दिल टूट गया है। पिता ने बताया कि बृजेश ने आखिरी बार 14 जुलाई को उनसे फोन पर बात की थी।

भारतीय सेना ने कैप्टन बृजेश की शहादत पर गहरा दुख जताया। सेना ने कहा कि वे हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करते हुए देश की रक्षा के लिए तैयार रहते थे। कैप्टन बृजेश के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक घर ले जाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमेशा तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश शहीद सैनिकों के परिवारों के साथ खड़ा है।

देश की सेवा और सुरक्षा के लिए कुछ लोग अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। उनका बलिदान हमें प्रेरित करता है और हमें अपनी सेना पर गर्व महसूस कराता है। ऐसे वीर सपूतों की वजह से ही हम सुरक्षित हैं और हमारा देश मजबूत है।

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