Terror Threat in Kashmir: कश्मीर, जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, आज एक बार फिर तनाव के दौर से गुजर रहा है। हाल ही में पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। अब खुफिया एजेंसियों की चेतावनी ने जम्मू और कश्मीर की सरकार को हाई अलर्ट पर ला दिया है। आतंकवादी हमले (Terrorist Attack) की आशंका के चलते घाटी के आधे से ज्यादा पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया है। यह कदम न केवल स्थानीय लोगों बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक बड़ा बदलाव है। आइए, इस गंभीर स्थिति को करीब से समझें।
पहलगाम हमले ने तोड़ी शांति
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, आतंकवादियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। यह हमला इतना भयावह था कि इसने 2019 के पुलवामा हमले की याद ताजा कर दी। हमलावरों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली। खुफिया सूत्रों के अनुसार, हमले की योजना पाकिस्तान में बनी थी, और इसमें शामिल कुछ आतंकवादी विदेशी नागरिक हो सकते हैं। इस घटना ने कश्मीर की शांति को गहरी चोट पहुंचाई और भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को फिर से बढ़ा दिया।
स्लीपर सेल का खतरा
पहलगाम हमले के बाद खुफिया एजेंसियों ने एक और गंभीर चेतावनी जारी की। कश्मीर में स्लीपर सेल (Sleeper Cells in Kashmir) सक्रिय हो गए हैं, जो घाटी में और हमलों की साजिश रच रहे हैं। स्लीपर सेल ऐसे आतंकी समूह होते हैं जो सामान्य लोगों की तरह जीवन जीते हैं, लेकिन सही समय पर हमले को अंजाम देते हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, खुफिया एजेंसियों ने संचारों को इंटरसेप्ट किया, जिसमें स्लीपर सेल को हमले के निर्देश मिलने की बात सामने आई। इस जानकारी ने प्रशासन को तुरंत कार्रवाई के लिए मजबूर किया। नतीजतन, जम्मू और कश्मीर के 87 पर्यटन स्थलों में से 48 को बंद कर दिया गया। गुलमर्ग, सोनमर्ग, और डल झील जैसे लोकप्रिय स्थानों पर अब पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी गई है।
सुरक्षा बलों की मुस्तैदी
हमले के बाद से ही जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बल पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं। सेना, पुलिस, और अर्धसैनिक बलों ने मिलकर घाटी में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है। गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे क्षेत्रों में फिदायीन रोधी दस्ते तैनात किए गए हैं, जो आत्मघाती हमलावरों से निपटने में विशेषज्ञ होते हैं। हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद से जंगलों और दुर्गम इलाकों में आतंकियों की तलाश की जा रही है। बांदीपोरा में हाल ही में एक मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी सहयोगी को मार गिराया गया, जो इस बात का सबूत है कि सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ कड़ा रुखadopt कर रहे हैं।
पहलगाम हमले में शामिल आतंकियों की तलाश के लिए पुलिस ने तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह, और अबू तल्हा बताए गए हैं। माना जा रहा है कि ये आतंकी पुंछ क्षेत्र में पहले भी आतंकी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) भी जांच में जुट गया है और घटनास्थल का दौरा कर चुका है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने हमले को रिकॉर्ड करने के लिए बॉडी कैमरे का इस्तेमाल किया, जो लश्कर-ए-तैयबा की आम रणनीति है।
नियंत्रण रेखा पर बढ़ता तनाव
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा (Line of Control) पर लगातार पांच रातों तक संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। जम्मू जिले के अखनूर सेक्टर सहित कई इलाकों में पाकिस्तानी सैनिकों ने बिना उकसावे के गोलीबारी की। भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया, लेकिन इस गोलीबारी में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान इस तनाव को और भड़काने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि पहलगाम हमले में उसकी संलिप्तता पर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है।
भारत ने इस हमले के जवाब में कई बड़े कदम उठाए। सरकार ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की। इसके अलावा, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए गए और सीमा पर सख्ती बढ़ा दी गई। इन कदमों ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है, और वहां की सेना ने अपने जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं।
पर्यटन पर पड़ता असर
कश्मीर का पर्यटन उद्योग हमेशा से इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। गुलमर्ग की बर्फीली चोटियां, डल झील की शांति, और सोनमर्ग के हरे-भरे मैदान हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। लेकिन पहलगाम हमले और अब पर्यटन स्थलों के बंद होने से इस उद्योग पर गहरा असर पड़ रहा है। स्थानीय गाइड, होटल मालिक, और छोटे व्यापारी चिंतित हैं। कई पर्यटक, खासकर विदेशी, अपनी यात्रा रद्द कर रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने नागरिकों को जम्मू और कश्मीर की यात्रा न करने की सलाह दी है, जिसने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
पहलगाम हमले के बाद श्रीनगर के हवाई किराए में भी उछाल देखा गया है। एयरलाइंस को सलाह दी गई है कि वे किराए में बढ़ोतरी न करें और टिकट रद्द करने पर पूरा रिफंड दें। लेकिन फिर भी, पर्यटकों में डर का माहौल है। पुणे के 500 से ज्यादा पर्यटक कश्मीर में फंसे हुए हैं और जल्द से जल्द अपने घर लौटना चाहते हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
पहलगाम हमले की निंदा भारत और विश्व स्तर पर की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “कायरतापूर्ण” और “झकझोर देने वाला” बताया और दोषियों को सजा देने का वादा किया। जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे हाल के वर्षों का सबसे बड़ा नागरिक हमला करार दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इसकी कड़ी निंदा की।
विपक्षी नेताओं ने सरकार पर सुरक्षा चूक का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इसे “खुफिया विफलता” बताया और पीड़ित परिवारों के लिए 10 करोड़ रुपये की सहायता और सरकारी नौकरी की मांग की। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भारत के साथ एकजुटता जताई और हमले की निंदा की।
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