महाराष्ट्रमुंबई

Thackeray Brothers Marathi Victory Rally: 5 जुलाई को उद्धव-राज ठाकरे की संयुक्त रैली, अब तक नहीं मिली परमिशन

Thackeray Brothers Marathi Victory Rally: 5 जुलाई को उद्धव-राज ठाकरे की संयुक्त रैली, अब तक नहीं मिली परमिशन

Thackeray Brothers Marathi Victory Rally: महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल का इंतजार है। लगभग दो दशक बाद ठाकरे बंधु, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, एक मंच पर एक साथ नजर आएंगे। यह मौका है 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में एनएससीआई डोम में होने वाली मराठी विजय दिवस रैली (Marathi Vijay Diwas Rally) का। इस रैली का आयोजन मराठी भाषा और संस्कृति की जीत का जश्न मनाने के लिए किया जा रहा है। पहले यह रैली स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के विरोध में थी, लेकिन सरकार ने तीन-भाषा नीति के आदेश को वापस ले लिया। इसके बाद इस आयोजन को विजय रैली में बदल दिया गया।

यह रैली पहले गिरगांव चौपाटी पर प्रस्तावित थी, लेकिन अब यह वर्ली के एनएससीआई डोम में सुबह 10 बजे शुरू होगी। हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने संयुक्त रूप से इस रैली के लिए निमंत्रण पत्र जारी किया है। इस निमंत्रण में किसी भी पार्टी का झंडा या प्रतीक नहीं है, बल्कि केवल महाराष्ट्र की एक ग्राफिक छवि है, जो मराठी एकता (Marathi Unity) को दर्शाती है। पत्र में लिखा है, “मराठी माताओं, बहनों और भाइयों, क्या आपने सरकार को झुकाया?” यह संदेश मराठी जनता की ताकत को उजागर करता है।

इस आयोजन की शुरुआत तब हुई, जब महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने की तीन-भाषा नीति लागू करने का फैसला किया था। इस नीति के खिलाफ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एकजुट होकर विरोध जताया। दोनों नेताओं ने अलग-अलग तारीखों पर विरोध मार्च की योजना बनाई थी, लेकिन एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग रैलियों से गलत संदेश जाने की आशंका थी। राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे से बात की, और दोनों ने एक संयुक्त रैली आयोजित करने का फैसला किया। सरकार ने 29 जून को नीति वापस ले ली, जिसे दोनों नेताओं ने मराठी जनता की जीत बताया।

रैली की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि यह आयोजन मराठी अस्मिता का उत्सव है। मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नांदगावकर, संदीप देशपांडे, नितिन सरदेसाई और शिवसेना (यूबीटी) के विधायक अनिल परब ने वर्ली के सभागार में तैयारियों का जायजा लिया। पूरे महाराष्ट्र से लोग इस रैली में शामिल होने के लिए आने वाले हैं। शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और मराठी भाषा व संस्कृति के लिए काम करने वाली कई सामाजिक संस्थाएँ भी इस आयोजन में हिस्सा लेंगी।

इस रैली में उद्धव और राज ठाकरे के भाषणों पर सबकी नजरें टिकी हैं। दोनों नेताओं का एक मंच पर आना न केवल मराठी एकता (Marathi Unity) का प्रतीक है, बल्कि यह आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश हो सकता है। बीएमसी पर लंबे समय से शिवसेना का कब्जा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना से अलग होकर मनसे बनाई थी, और तब से दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक मतभेद रहे हैं। इस रैली को कई लोग ठाकरे बंधुओं के बीच सुलह और एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि, बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने इस एकता पर तंज कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे ने ही राज ठाकरे को अपमानित कर शिवसेना से बाहर निकाला था। उन्होंने इस रैली को राजनीतिक नाटक करार दिया। फिर भी, मराठी जनता के बीच इस आयोजन को लेकर उत्साह है। यह रैली मराठी भाषा और संस्कृति के प्रति गर्व का प्रतीक बन गई है।

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