महाराष्ट्र की राजनीति में एक ऐतिहासिक पल आने वाला है। कई सालों बाद ठाकरे बंधु, यानी राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ एक मंच पर नजर आएंगे। ये कोई पारिवारिक मिलन नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक कदम है। दोनों नेता महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के सरकारी फैसले के खिलाफ एकजुट होकर आंदोलन करने जा रहे हैं। इसकी पुष्टि शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने की है।
संयुक्त आंदोलन की घोषणा
संजय राउत ने अपने एक्स पोस्ट में बताया, “हिंदी भाषा को थोपने के खिलाफ राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एकजुट होकर मोर्चा निकालेंगे। ये आंदोलन अलग-अलग नहीं, बल्कि एक साथ होगा।” पहले खबर थी कि राज ठाकरे 5 जुलाई को और उद्धव ठाकरे 6 जुलाई को अलग-अलग मोर्चा निकालेंगे, लेकिन अब दोनों नेताओं ने एक ही दिन संयुक्त आंदोलन करने का फैसला किया है।
जय महाराष्ट्र!
“There will be a single and united march against compulsory Hindi in Maharashtra schools. Thackeray is the brand!”
@Dev_Fadnavis
@AmitShah pic.twitter.com/tPv6q15Hwv— Sanjay Raut (@rautsanjay61) June 27, 2025
राज ठाकरे का सवाल: हिंदी को क्यों थोपा जा रहा है?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार की नीति पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि ये भारत की अन्य भाषाओं की तरह ही एक भाषा है। फिर इसे पहली कक्षा से अनिवार्य क्यों किया जा रहा है? राज ठाकरे ने पूछा, “बच्चों को एक साथ तीन भाषाएं क्यों पढ़ाई जा रही हैं? सरकार किसके दबाव में ये फैसला ले रही है?”
उद्धव ठाकरे का कड़ा विरोध
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी सरकार पर हिंदी को जबरन थोपने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “हमारा किसी भाषा से विरोध नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र पर हिंदी लादने की कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी।” उद्धव ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई जबरदस्ती लागू की जा रही नीति के खिलाफ है, न कि किसी भाषा विशेष के खिलाफ।
मराठी समुदाय के लिए एकजुट हुए ठाकरे बंधु
राज और उद्धव ठाकरे का ये एकजुट होना मराठी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए है। राज ठाकरे ने पहले ही ऐलान किया था कि वो मराठी लोगों और उनके समुदाय के उत्थान के लिए काम करने वाली किसी भी पार्टी के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने उद्धव ठाकरे की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। जवाब में, उद्धव ठाकरे ने भी पुराने मतभेद भुलाकर मराठी समुदाय के लिए एकजुट होने की सहमति जताई।
सरकार को अल्टीमेटम
ठाकरे बंधुओं ने महाराष्ट्र सरकार को साफ चेतावनी दी है कि वे हिंदी को अनिवार्य करने की नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। इस संयुक्त आंदोलन के जरिए दोनों नेता मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए अपनी ताकत दिखाने को तैयार हैं। ये आंदोलन न केवल राजनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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