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Thane Cyber Fraud Case: व्हाट्सएप पर मैलिशियस PDF फाइल, ठाणे पुलिसकर्मी के खाते से 6 लाख उड़े

Thane Cyber Fraud Case: व्हाट्सएप पर मैलिशियस PDF फाइल, ठाणे पुलिसकर्मी के खाते से 6 लाख उड़े

Thane Cyber Fraud Case: डिजिटल युग में साइबर अपराध (Cyber Fraud) एक ऐसी चुनौती बन चुका है, जो किसी को भी नहीं बख्शता—यहां तक कि पुलिस वालों को भी नहीं। ठाणे में एक पुलिसकर्मी के साथ हुई 6 लाख रुपये की ठगी ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि यह भी सवाल उठाए कि आखिर साइबर अपराधी इतने शातिर कैसे हो गए। इस मामले में एक अज्ञात साइबर अपराधी ने व्हाट्सएप पर एक मैलिशियस पीडीएफ फाइल (Malicious PDF File) भेजकर पुलिसकर्मी के बैंक खाते से 16 लेनदेन में 6.01 लाख रुपये उड़ा लिए। यह खबर नई पीढ़ी के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है, जो स्मार्टफोन और डिजिटल लेनदेन का रोजाना इस्तेमाल करती है।

यह मामला ठाणे के बदलापुर में रहने वाले पुलिसकर्मी एस.बी. तडवी के साथ हुआ, जो अंबरनाथ के शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में तैनात हैं। 31 मई 2025 को तडवी को एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप पर कुछ रैंडम मैसेज आए। इसके बाद उसी नंबर से एक पीडीएफ फाइल भेजी गई, जो उनके फोन में अपने आप डाउनलोड हो गई। हैरानी की बात यह थी कि फाइल डाउनलोड होने के तुरंत बाद भेजने वाले ने उसे डिलीट कर दिया। कुछ ही देर में तडवी को उनके बैंक खाते से पैसे निकलने के मैसेज आने शुरू हो गए। कुछ घंटों में उनके खाते से 16 अलग-अलग लेनदेन में 6.01 लाख रुपये निकाल लिए गए।

यह घटना और भी चौंकाने वाली इसलिए थी, क्योंकि तडवी ने अपने बैंक खाते पर एक दिन में केवल 1 लाख रुपये की डेबिट सीमा तय की थी। फिर भी, साइबर अपराधी ने इस सीमा को तोड़कर इतनी बड़ी राशि हड़प ली। तडवी ने तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज की और पुलिस को अपराधी का नंबर और फर्जी लेनदेन का ब्योरा दिया। ठाणे पुलिस ने इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी (कंप्यूटर संसाधन का उपयोग कर धोखाधड़ी) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि अपराधी ने पीडीएफ फाइल के जरिए खाते तक पहुंच कैसे बनाई और बैंक की डेबिट सीमा को कैसे बायपास किया।

साइबर अपराध (Cyber Fraud) के इस मामले ने कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक पुलिसकर्मी, जो खुद कानून का हिस्सा है, इस तरह की ठगी का शिकार कैसे बन गया। यह घटना नई पीढ़ी के लिए एक चेतावनी है, जो व्हाट्सएप, ईमेल और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर रोजाना फाइल्स और लिंक्स रिसीव करती है। मैलिशियस पीडीएफ फाइल (Malicious PDF File) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल साइबर अपराधी अपने शिकार के फोन या कंप्यूटर में मैलवेयर इंस्टॉल करने के लिए करते हैं। यह मैलवेयर बैंक खाते की जानकारी, पासवर्ड और ओटीपी जैसी संवेदनशील जानकारी चुरा सकता है। तडवी के मामले में यही हुआ, जिसके चलते अपराधी ने उनके खाते से पैसे ट्रांसफर कर लिए।

ठाणे पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है। वे अपराधी के नंबर का पता लगा रहे हैं और यह भी देख रहे हैं कि पैसा किस खाते में ट्रांसफर हुआ। लेकिन यह मामला केवल एक व्यक्ति की ठगी तक सीमित नहीं है। यह डिजिटल सुरक्षा के उस बड़े मुद्दे को उजागर करता है, जिसका सामना आज हर कोई कर रहा है। नई पीढ़ी, जो ऑनलाइन बैंकिंग, यूपीआई और डिजिटल वॉलेट का इस्तेमाल करती है, को ऐसे खतरों से बचने के लिए जागरूक होना होगा। यह घटना यह भी दिखाती है कि साइबर अपराधी कितने स्मार्ट हो गए हैं, जो बैंक की सुरक्षा सीमाओं को भी चकमा दे सकते हैं।

मुंबई और ठाणे जैसे शहरों में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में मजगांव के एक 25 साल के युवक के साथ 9.27 लाख रुपये की ऑनलाइन टास्क स्कैम में ठगी हुई थी। ये मामले बताते हैं कि साइबर अपराधी नए-नए तरीकों से लोगों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। तडवी का मामला इसलिए भी खास है, क्योंकि इसमें एक साधारण पीडीएफ फाइल का इस्तेमाल हुआ, जो आम तौर पर लोग बिना सोचे-समझे खोल लेते हैं। यह नई पीढ़ी के लिए एक सबक है कि अनजान नंबरों से आई किसी भी फाइल या लिंक को खोलने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।

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