महाराष्ट्र

ठाणे: शहापुर के दमणिया स्कूल की शर्मनाक हरकत: मासिक धर्म के नाम पर छात्राओं का अपमान

दमणिया स्कूल
Image Source - Web

महाराष्ट्र के शहापुर में स्थित दमणिया स्कूल में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया, बल्कि स्कूल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। स्कूल के शौचालय में खून के निशान मिलने के बाद, मासिक धर्म के शक में 10 से 12 छात्राओं को निर्वस्त्र कर उनकी जांच की गई। इस घटना ने छात्राओं और उनके परिवारों में गहरा आक्रोश पैदा किया है, साथ ही समाज में मासिक धर्म के प्रति जागरूकता की कमी को भी उजागर किया है।

मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल के शौचालय में खून के निशान मिलने के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करने के बजाय एक असंवेदनशील और अनुचित कदम उठाया। 14 से 15 साल की उम्र की कक्षा 5 से 10 तक की छात्राओं को बुलाकर उनकी जांच के लिए कपड़े उतारने को कहा गया। ये कदम न केवल अनैतिक था, बल्कि छात्राओं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला भी साबित हुआ। मासिक धर्म एक प्राकृतिक और सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, लेकिन स्कूल प्रशासन ने इसे समझाने या बच्चों को शिक्षित करने की बजाय उन्हें शर्मिंदगी का शिकार बनाया।

अभिभावकों का गुस्सा: स्कूल के खिलाफ हंगामा
जैसे ही इस घटना की खबर अभिभावकों तक पहुंची, वे तुरंत स्कूल पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। गुस्साए अभिभावकों ने स्कूल प्रिंसिपल और स्टाफ से तीखी बहस की और इस शर्मनाक कदम के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई, जब अभिभावकों ने स्कूल को घेर लिया, जिससे माहौल में तनाव बढ़ गया।

क्या उल्लंघन हुए नियम?
इस गंभीर मामले को देखते हुए स्थानीय पुलिस तुरंत हरकत में आई और स्कूल में जांच शुरू कर दी। पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि स्कूल प्रशासन ने ऐसा कदम क्यों उठाया और क्या इस प्रक्रिया में छात्राओं के अधिकारों का उल्लंघन हुआ। ये भी जांच का विषय है कि क्या स्कूल ने बच्चों की निजता और सम्मान की रक्षा के लिए जरूरी दिशा-निर्देशों का पालन किया या नहीं।

मासिक धर्म जागरूकता की कमी: समाज और स्कूलों की जिम्मेदारी
ये घटना समाज में मासिक धर्म के प्रति गहरी अज्ञानता और गलत धारणाओं को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों को मासिक धर्म को एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में बच्चों को समझाने के लिए विशेष शिक्षण सत्र आयोजित करने चाहिए। इसके बजाय, दमणिया स्कूल ने एक ऐसी प्रक्रिया अपनाई, जिसने न केवल छात्राओं का मनोबल तोड़ा, बल्कि स्कूल की प्रतिष्ठा को भी भारी नुकसान पहुंचाया।

स्थानीय लोग और अभिभावक इस मामले में स्कूल प्रशासन के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि स्कूलों में मासिक धर्म शिक्षा को अनिवार्य करना चाहिए और छात्राओं के सम्मान की रक्षा के लिए सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए। इस घटना ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और निजता के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

सभी की निगाहें अब पुलिस की जांच और स्कूल प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या स्कूल इस घटना के लिए माफी मांगेगा? क्या जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी? और सबसे महत्वपूर्ण, क्या इस घटना से स्कूलों में मासिक धर्म शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब का इंतजार शहापुर का समुदाय और पूरे देश के लोग कर रहे हैं।

आपकी राय क्या है?
इस घटना ने न केवल शहापुर, बल्कि पूरे देश में मासिक धर्म के प्रति जागरूकता और स्कूलों में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के मुद्दे को सामने लाया है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या स्कूलों को मासिक धर्म शिक्षा को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।

ये भी पढ़ें: यूपी में धर्मांतरण का सनसनीखेज खुलासा: छांगुर बाबा का काला कारोबार बेनकाब!

You may also like