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महाभारत का वो वीर जो था लड़की, जब उसकी शादी एक लड़की से ही हुई तो क्या हुआ

महाभारत
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महाभारत के युद्ध में ऐसे कई चरित्र हैं जिनकी कहानियां रहस्यमयी और चौंकाने वाली हैं। लेकिन उनमें से सबसे अनोखी और चर्चा का विषय रही है शिखंडी की कहानी। ये योद्धा पैदा तो लड़की के रूप में हुआ, लेकिन पाला गया लड़के की तरह। उसकी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव और अद्भुत घटनाएं, आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

महाभारत का योद्धा शिखंडी (Mahabharat ka Yoddha Shikhandi) और शिखंडी की अनोखी कहानी (Shikhandi ki Anokhi Kahani)—इन दोनों की समझ से इस महान कथा को बेहतर समझा जा सकता है।

लड़की होकर लड़के की तरह पला
शिखंडी का जन्म पांचाल देश के राजा द्रुपद और रानी द्रुपदमहिषी के घर हुआ। जन्म के समय एक भविष्यवाणी हुई कि ये बालिका बड़ी होकर एक महान योद्धा बनेगी। राजा द्रुपद ने इसे पुत्र मानकर पाला। इसे युद्ध कौशल और अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा दी गई। बचपन से ही शिखंडी को ऐसे बड़ा किया गया कि किसी को ये महसूस न हो कि वो वास्तव में एक लड़की है। लेकिन ये सब केवल वर्तमान जीवन की कहानी नहीं है। शिखंडी का इतिहास उसके पिछले जन्म से जुड़ा हुआ है।

पिछले जन्म की कहानी: अंबा का पुनर्जन्म
शिखंडी के पिछले जन्म की कहानी उसकी ज़िंदगी की सबसे अहम कड़ी है। पूर्व जन्म में शिखंडी अंबा नामक एक राजकुमारी थी। वो भीष्म पितामह से विवाह करना चाहती थी, लेकिन भीष्म ने अपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत के कारण मना कर दिया। अपमानित होकर अंबा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की और वरदान मांगा कि वो भीष्म की मृत्यु का कारण बने। भगवान शिव ने उसे ये वरदान दे दिया।

भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण
महाभारत के युद्ध में शिखंडी ने वो भूमिका निभाई, जिसके लिए वो पैदा हुई थी। युद्ध के दौरान भीष्म पितामह ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि वे किसी स्त्री पर शस्त्र नहीं उठाएंगे। शिखंडी को अर्जुन ने भीष्म के सामने खड़ा कर दिया। भीष्म ने अपने हथियार रख दिए, और अर्जुन ने उन्हें बाणों से बुरी तरह घायल कर दिया। इस तरह, शिखंडी ने भीष्म की मृत्यु में अहम भूमिका निभाई।

जब हुई शिखंडी की शादी
राजा द्रुपद ने शिखंडी का विवाह पड़ोसी देश के राजा की बेटी से करवा दिया। दुनिया को शिखंडी की असलियत के बारे में कुछ भी पता नहीं था। लेकिन शादी के बाद जब उसकी पत्नी को सच्चाई का पता चली, तो वो क्रोधित होकर उसे छोड़कर चली गई। पत्नी के पिता ने शिखंडी के पिता द्रुपद को कड़ी फटकार लगाई। इस सब से शिखंडी इतनी आहत हुई कि वो आत्महत्या करने के लिए जंगल चई गई।

यक्ष की मदद और पुरुषत्व का वरदान
जंगल में, शिखंडी को एक यक्ष मिला जिसने उसकी मदद की। उसने शिखंडी को अपना पुरुषत्व अस्थायी रूप से दे दिया। शिखंडी वापस लौटा और अपनी पत्नी को संतुष्ट किया। लेकिन कुछ घटनाओं के कारण शिखंडी सदैव के लिए पुरुष बन गया।

अंत कैसे हुआ?
महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद, शिखंडी थका हुआ शिविर में सो रहा था। उसी समय अश्वत्थामा ने उसे मार डाला। शिखंडी की मृत्यु के बाद, उसका पुरुषत्व उस यक्ष को वापस मिल गया जिसने इसे प्रदान किया था।

महाभारत के इस अद्वितीय योद्धा की कहानी केवल रहस्यमयी नहीं, बल्कि साहस, बदले और किस्मत के धागों से बुनी हुई है। शिखंडी न केवल अंबा के अपमान का बदला लेने आया था, बल्कि इतिहास में ऐसा योद्धा बन गया जिसने भीष्म जैसे योद्धा को हराया।

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