खाने में कीटनाशकों के बारे में खबरें हमेशा डरावनी होती हैं। हाल ही में, FSSAI (भारत की फूड सेफ्टी एजेंसी) ने मसालों में कीटनाशकों की मात्रा को बढ़ाने का फैसला किया है। इसके पीछे क्या वजह है और क्या इसका मतलब है कि हमारा खाना अब उतना सुरक्षित नहीं?
गौरतलब है कि कीटनाशक फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। लेकिन इनका ज्यादा सेवन सेहत के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए हर देश में खाने के सामान में कीटनाशकों की एक तय सीमा होती है (जिसे MRL कहते हैं)। भारत में भी FSSAI ये सीमा तय करती है।
क्या बदला है?
पहले मसालों में कीटनाशकों की सीमा 0.01 मिलीग्राम प्रति किलो थी, जिसे अब बढ़ाकर 0.1 मिलीग्राम प्रति किलो कर दिया गया है। पर सिर्फ कुछ खास मामलों में!
ऐसा क्यों किया गया?
स्पाइस टेस्टिंग में दिक्कत: मसालों के खुद के केमिकल्स टेस्ट के नतीजों को प्रभावित करते हैं।
अवैध कीटनाशकों का इस्तेमाल: कई किसान बिना रजिस्टर किए कीटनाशक इस्तेमाल करते हैं, जिनके लिए कोई मानक ही नहीं हैं।
इसपर FSSAI का कहना है कि हमारे देश में कीटनाशकों के मानक बहुत सख्त हैं। ये बदलाव कुछ खास मसालों और कुछ खास कीटनाशकों के लिए ही है। विदेशों से आने वाले मसालों को ध्यान में रखकर भी फैसला लिया गया है।
ऐसी खबरों से घबराना लाज़मी है, पर हर बदलाव बुरा नहीं होता। हो सकता है FSSAI ने पूरी जांच-परख के बाद ही ये कदम उठाया हो। फिर भी, खाने की शुद्धता सब चाहते हैं, इसलिए इस मुद्दे पर नज़र रखना ज़रूरी है। कुछ दूसरे देशों में भी मसालों के लिए अलग कीटनाशक मानक हैं। जानकारी हो कि ये बदलाव सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में कुछ भारतीय मसालों की बिक्री रुकने के बाद आया है।
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