महाराष्ट्र के येवला शहर में 350 साल पुरानी परंपरा वाला घोड़ों का बाजार हर मंगलवार को लगता है। दरअसल येवला के संस्थापक राजा रघुजी बाबा ने 17वीं सदी से इस घोड़ों के बाजार की शुरुआत की थी। इसके बाद से हर साल नवरात्र के दौरान, दशहरे से पहले जो मंगलवार आता है, उस दिन येवला कृषि उत्पन्न बाजार समिति के परिसर में सबसे बड़ा घोड़ों का बाजार लगता है। इस बाजार के लिए न सिर्फ राज्य से बल्कि देश के विभिन्न कोनों से अनगिनत घोड़े, घोड़े शो करने वाले और व्यापारी घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए यहां पहुंचे थे। चाहे चेन्नई हो, कर्नाटक, पंजाब, काठियावाड़, गुजरात, पंजाब या माथेरान, कई राज्यों से घोड़े येवला शहर में पहुंचे हैं।
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