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BRS और TMC के बीच करोड़ों का खेल, जानें कौन बना धनकुबेर और किसने किया सबसे ज्यादा खर्च?”

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भारतीय राजनीति के आर्थिक पहलू पर एक नई रिपोर्ट ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी इस रिपोर्ट ने क्षेत्रीय दलों की आय और व्यय का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे अधिक 737.6 करोड़ रुपये की आमदनी दर्ज की। ये आंकड़ा इतना बड़ा है कि ये सभी क्षेत्रीय दलों की कुल आमदनी का लगभग आधा (42.3%) है। ये खुलासा राजनीतिक विश्लेषकों और आम जनता को समान रूप से हैरान कर देने वाला है।

दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने खर्च के मामले में बाजी मारी। टीएमसी ने 181.1 करोड़ रुपये खर्च किए, जो सभी क्षेत्रीय दलों के कुल खर्च का 37.6% है। ये आंकड़ा दर्शाता है कि टीएमसी ने अपने संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है, जो संभवतः आगामी चुनावों की तैयारियों का संकेत हो सकता है।

खर्च के मामले में, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) दूसरे स्थान पर रही, जिसने 79.3 करोड़ रुपये (कुल खर्च का 16.49%) खर्च किए। इसके बाद बीआरएस (57.4 करोड़ रुपये), डीएमके (52.6 करोड़ रुपये) और समाजवादी पार्टी (31.4 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि विभिन्न क्षेत्रीय दल अपने संसाधनों का कितना प्रभावी उपयोग कर रहे हैं।

आय के मोर्चे पर, बीआरएस के बाद टीएमसी (333.45 करोड़ रुपये) और डीएमके (214.3 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। ये ध्यान देने योग्य है कि कुल 57 क्षेत्रीय दलों में से केवल 39 ने अपनी आय और व्यय रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिनकी कुल आय 1,740.4 करोड़ रुपये रही। ये तथ्य राजनीतिक दलों की वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 31 अक्टूबर 2023 की समय सीमा का पालन केवल 16 दलों ने किया, जबकि 23 दलों ने देरी से रिपोर्ट जमा की। ये स्थिति नियामक निकायों के प्रति राजनीतिक दलों के रवैये को दर्शाती है।

खर्च और आय के बीच के अंतर ने भी कई रोचक तथ्य उजागर किए। बीआरएस की सबसे अधिक अव्ययित आय (680.2 करोड़ रुपये) रही, जिसके बाद बीजू जनता दल (171 करोड़ रुपये) और डीएमके (161.7 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। वहीं, 20 दलों ने अपनी आय से अधिक खर्च किया, जिनमें जनता दल (सेक्युलर) ने सबसे अधिक 490.4% अतिरिक्त खर्च किया।

आय के स्रोतों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि चंदा और चुनावी बांड पार्टियों की आय के प्रमुख स्रोत रहे, जिनसे 1,522.46 करोड़ रुपये (कुल आय का 87.4%) की आय हुई। ये आंकड़ा राजनीतिक वित्त पोषण की वर्तमान प्रणाली पर गहन चर्चा की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

इस रिपोर्ट से क्षेत्रीय दलों की आर्थिक शक्ति का स्पष्ट चित्र सामने आता है। बीआरएस की उच्च आय और टीएमसी का अधिक व्यय इन दलों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और रणनीतियों को दर्शाता है। साथ ही, यह रिपोर्ट राजनीतिक दलों की वित्तीय गतिविधियों में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है।

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