ओलंपिक खेलों में मशाल रिले एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें हज़ारों लोग मशाल को एक शहर से दूसरे शहर ले जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई और इसका ग्रीक मिथकों से क्या संबंध है?
जानकारी हो कि ओलंपिक खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी और मशाल रिले की परंपरा भी वहीं से जुड़ी हुई है। 1936 में बर्लिन ओलंपिक खेलों के दौरान पहली बार मशाल रिले की शुरुआत हुई थी।
ओलंपिक खेलों का इतिहास
ओलंपिक खेल लगभग 3,000 साल पुराने हैं। ये खेल हर चार साल में ओलंपिया में आयोजित होते थे। इन खेलों का उद्देश्य सिर्फ प्रतिस्पर्धा नहीं था, बल्कि ये शांति का प्रतीक भी थे।
मशाल, मिथक और निरंतरता
ग्रीक मिथकों में आग को एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता था। ओलंपिया में देवी हेस्टिया की वेदी पर हमेशा आग जलती रहती थी। आज भी ओलंपिक मशाल को जलाने के लिए सूर्य की किरणों का उपयोग किया जाता है।
बदलती परंपरा
आज मशाल रिले में हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। मशाल को पैदल, हवाई जहाज और जहाज से एक देश से दूसरे देश ले जाया जाता है। पहले सिर्फ युवा पुरुष एथलीट ही मशाल वाहक होते थे, लेकिन अब महिलाएं और दिव्यांगजन भी इसमें शामिल होते हैं।
ओलंपिक मशाल रिले एक ऐसी परंपरा है जो प्राचीन और आधुनिक ओलंपिक खेलों के बीच एक कड़ी का काम करती है। ये एकता, शांति और मानवता के उत्सव का प्रतीक है।
ओलंपिक मशाल रिले के आखिरी व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है। ये आमतौर पर खेल जगत की कोई प्रसिद्ध हस्ती या युवा नेता होता है, जो स्टेडियम में रखे बड़े कलश को जलाता है।
ये भी पढ़ें: रेसलर बजरंग पुनिया डोपिंग मामले में फंसे, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से निलंबित!