कनेक्टिकट का ये छोटा सा लैब: इन दिनों बड़ी दवा कंपनियों और उपभोक्ता सामान बनाने वाली दिग्गज कंपनियों के प्रोडक्ट्स को लेकर लगातार चेतावनियां जारी हो रही हैं। इन चेतावनियों के पीछे एक नाम बार-बार सामने आ रहा है – वैलिस्योर (Valisure)। कनेक्टिकट का ये छोटा सा लैब अपने दम पर बड़े-बड़े ब्रांड्स की पोल खोल रहा है।
क्या करता है वैलिस्योर?
वैलिस्योर एक स्वतंत्र लैब है जो दवाओं और दूसरे उपभोक्ता उत्पादों की जांच करता है। इस लैब ने कई उत्पादों में खतरनाक रसायनों की मौजूदगी का खुलासा किया है, जिससे कंपनियां बौखला गई हैं।
किस-किस ने झेला वैलिस्योर का गुस्सा?
वैलिस्योर ने कई बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट्स में खामियां पकड़ी हैं। सनस्क्रीन में बेंजीन, ड्राई शैंपू में कैंसरकारी तत्व और यहां तक कि दवाओं में भी खतरनाक रसायनों की मौजूदगी का खुलासा इसी लैब ने किया है।
कंपनियों को क्यों है वैलिस्योर से चिढ़?
कंपनियां वैलिस्योर की जांच रिपोर्ट्स से इसलिए परेशान हैं क्योंकि इससे उनकी साख पर बट्टा लगता है और उन्हें अपने उत्पाद वापस लेने पड़ते हैं। इसके अलावा, वैलिस्योर के खुलासों से उन पर कानूनी कार्रवाई का भी खतरा मंडराने लगता है।
सरकारी नियामक भी नाराज
वैलिस्योर के काम से सिर्फ कंपनियां ही नहीं, बल्कि सरकारी नियामक भी नाखुश हैं। उनका कहना है कि वैलिस्योर की जांच के तरीके सही नहीं हैं और इससे अनावश्यक रूप से लोगों में डर पैदा होता है।
लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी है वैलिस्योर का काम
हालांकि, वैलिस्योर अपने काम को लोगों की सुरक्षा के लिए जरूरी बताता है। उसका कहना है कि बड़ी कंपनियों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता और उनके उत्पादों की स्वतंत्र जांच जरूरी है।
ये भी पढ़ें: हर तीन में से एक नवनिर्वाचित सांसद पर आपराधिक मामले, 124% की उछाल