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साल में एक ही दिन खुलता है भारत का ये मंदिर, जानें क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता

मंदिर
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क्या आप जानते हैं कि भारत देश में एक ऐसा मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है? जी हां, महाकाल की नगरी उज्जैन में एक ऐसा मंदिर है, जो साल में केवल एक दिन खुलता है! नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित है, अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं, और ये दुनिया का इकलौता मंदिर माना जाता है जहां भोलेनाथ इस रूप में पूजे जाते हैं।

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसके कपाट साल में सिर्फ एक दिन, नागपंचमी के पावन अवसर पर ही खोले जाते हैं। इस दौरान 24 घंटे तक भक्तों को भगवान शिव के इस अनूठे रूप के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।

क्यों खास है नागचंद्रेश्वर मंदिर?
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। नागों को भगवान शिव का आभूषण और रक्षक माना जाता है। नागचंद्रेश्वर मंदिर इसी प्राचीन परंपरा का प्रतीक है। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से नागदोष, कालसर्प दोष और अन्य बाधाएं दूर होती हैं।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में परमार वंश के राजा भोज ने करवाया था। बाद में 1732 में मराठा सरदार राणोजी सिंधिया ने इसका पुनर्निर्माण कराया और तब ही नेपाल से नागचंद्रेश्वर की मूर्ति मंगवाकर तीसरी मंजिल पर स्थापित की गई।

पौराणिक कथा: तक्षक और शिव की भक्ति
धार्मिक कथाओं के अनुसार, नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से खुश होकर शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। तक्षक ने शिव के साथ रहने की इच्छा जताई, लेकिन शिव, जो एकांत और ध्यान के प्रेमी थे, ने इसे स्वीकार नहीं किया। तक्षक ने उनकी भावना को समझा और तय किया कि वो साल में केवल एक बार, नागपंचमी के दिन ही शिव के दर्शन करेंगे। इसी परंपरा के चलते ये मंदिर केवल इस दिन खोला जाता है।

नागपंचमी का महत्व
नागपंचमी का पर्व हिंदू संस्कृति में नागों की पूजा के लिए समर्पित है। ये दिन भगवान शिव और नागों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का विशेष अवसर है। उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर इस पर्व को और भी खास बनाता है, क्योंकि ये वह दुर्लभ मौका है जब भक्त इस अनोखे मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन कर सकते हैं।

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